- नीति आयोग ने मई 2017 में सभी राज्यों को पत्र लिखकर राज्यों के स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में सुधार करने के लिए सहायता की पेशकश की। 16 राज्यों ने इसके पक्ष में उत्तर दिया। मानव संसाधन मंत्रालय के साथ प्रजेंटेशन और परामर्श के बाद कार्यक्रम के लिए तीन राज्य- झारखंड, मध्य प्रदेश और ओड़िशा चुने गए। इस तरह मानव पूंजी-शिक्षा में परिवर्तन करने के लिए सतत् कार्य (एसएटीएच-ई) का जन्म हुआ।
- एसएटीएच-ई पहल राज्यों के साथ औपचारिक समझौतों पर आधारित है और इसका धनपोषण नीति आयोग और सहभागी राज्यों के बीच लागत साझा करने की व्यवस्था के जरिए किया जाएगा। परियोजना की समीक्षा, डाटा संग्रहण तथा कार्यान्वयन के लिए बोस्टन कंसलटिंग ग्रुप (बीसीजी) तथा पीरामल फाउंडेशन फॉर एजुकेशन लीडरशिप (पीएफईएल) को नॉलेज पार्टनर के रूप में चुना गया।
- एसएटीएच-ई परियोजना की कल्पना एक कार्यक्रम के रूप में की गई है, जिसका उद्देश्य इन तीन राज्यों में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल शिक्षा में परिवर्तन करना है। एसएटीएच-ई रोडमैप में एक समयबद्ध, लक्ष्य प्रेरित अभ्यास का जिक्र है, जो अकादमिक वर्ष 2020 के अंत तक अपना तार्किक स्वरूप ले लेगा। इस अवधि में यदि राज्यों द्वारा महसूस किया जाता है तो अन्य दीर्घकालिक कार्यों की आधारशिला रखी जाएगी।
- हस्तक्षेप को सीमित करते हुए संपूर्ण प्रक्रिया राज्यों तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ परामर्श के अनुसार पूरी की जाएगी। इस कार्य में नीति आयोग के सीईओ की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संचालन ग्रुप (एनएसजी) तथा राज्यों के मुख्य सचिव सहायक होंगे और इसकी प्रगति की निरंतर निगरानी की जाएगी। गलती सुधारने के उपाय लागू किए जाएंगे और कार्यान्वयन से संबंधित विषयों के लिए प्लेटफॉर्म प्रस्तुत किया जाएगा।
- इस तरह एसएटीएच-ई का उद्देश्य शिक्षा और मुख्यधारा की उत्कृष्टता के लिए रोल मॉडल राज्य बनाना है, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता और परिणाम में परिवर्तन किया जा सके। प्रौद्योगिकी को आवश्यकता आधारित डाटा प्रेरित मूल्यांकन से जोड़ने और इसे नवाचार, इनक्यूबेशन, बाह्य, तीसरा पक्ष धनपोषण तथा सार्वजनिक-निजी-परोपकार साझेदारी (पीपीपीपी) का रूप देने से शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन लाने के कार्य में राज्य चालक की भूमिका में होंगे।