स्वच्छ भारत मिशन के तहत 3 लाख गांव एवं 300 जिले और 10 राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश ‘ओडीएफ’ घोषित, 6 करोड़ शौचालय बनाए गए
स्वच्छ भारत मिशन लोगों के व्यवहार अथवा नजरिए में बदलाव लाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। ग्रामीण समुदायों को एकजुट कर स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) सही अर्थों में एक जन आंदोलन में तब्दील हो गया है।
इस दिशा में हुई प्रगति के अद्यतन आंकड़ों के अनुसार इस मिशन के तहत ग्रामीण भारत में 6 करोड़ से भी ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया गया है।
वर्ष 2017 में भारतीय गुणवत्ता परिषद और वर्ष 2016 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन द्वारा किए गए दो स्वतंत्र सर्वेक्षणों से इन शौचालयों का क्रमशः 91 प्रतिशत तथा 95 प्रतिशत उपयोग किए जाने से संबंधित उत्साहवर्धक तथ्य उभर कर सामने आए हैं।
इसके परिणामस्वरूप 10 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों यथा सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, केरल, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़ और दमन एवं दीव के 3 लाख से भी अधिक गांवों और 300 जिलों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है।
यूनिसेफ ने अनुमान व्यक्त किया है कि स्वच्छता का अभाव हर साल भारत में 1,00,000 से भी अधिक बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार है। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा कराए गए एक अध्ययन में यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि भारत के ओडीएफ गांवों में रहने वाले परिवारों के स्वास्थ्य संकेतक तुलनात्मक दृष्टि से अत्यंत बेहतर पाए गए हैं।
यूनिसेफ द्वारा कराए गए एक अन्य अध्ययन में यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि भारत के किसी भी ओडीएफ गांव का हर परिवार प्रत्येक साल 50,000 रुपये की बचत करने में सफल हो जाता है क्योंकि वह बीमारी के इलाज में होने वाले खर्चों से बच जाता है और इसके साथ ही ऐसे परिवारों के सदस्यों के बीमार न पड़ने से आजीविका की बचत भी होती है, इत्यादि। विश्व बैंक द्वारा व्यापक स्तर पर कराए गए एक अध्ययन से पता चला है कि स्वच्छता के अभाव के कारण भारत को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6 प्रतिशत से भी अधिक का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
भारत को सही अर्थों में एक जन आंदोलन में तब्दील करने के लिए अपने कर्तव्य से कहीं आगे बढ़कर इस मिशन में बहुमूल्य योगदान दिया है।
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