Background:
बीजापुर में वन-धन विकास केन्द्र का शुभारंभ करने के बाद और जन धन, वन धन तथा गोवर्धन योजनाओं को एकजुट करने के उनके आग्रह पर भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने देश के जनजातीय जिलों में वन धन विकास केन्द्रों का विस्तार करने का प्रस्ताव किया है।
पहल के मुख्य बिंदु
- इकाई स्तर पर वनोत्पाद एसएचजी द्वारा एकत्रित किये जाएगे और लगभग 30 सदस्यों का वन धन विकास ‘समूह’ होगा। एसएचजी क्षेत्र में उपलब्ध काटने और छानने, सजाने, सूखाने और पैक करने जैसे उपकरणों का उपयोग कर प्राथमिक स्तर पर एमएफपी का मूल्यवर्धन करेंगे।
- एक आदर्श वन धन विकास समूह में निम्नलिखित सुविधाएं होंगी :
- आवश्यक भवन/बुनियादी ढांचा सुविधा लाभार्थियों में से किसी एक के आवास/आवास के हिस्से या सरकारी/ग्राम पंचायत भवन में स्थापित किये जाने का प्रावधान।
- क्षेत्र में उपलब्ध एमएफपी के आधार पर काटने, छानने, सजाने, सूखाने जैसे छोटे औजार/टूल किट।
- प्रशिक्षण के लिए कच्चे माल के प्रावधान के साथ 30 प्रशिक्षुओं के बैच के लिए पूरी तरह से सुसज्जित प्रशिक्षण सुविधाएं और ट्रेनी किट (बैग, पैड, पेन, विवरणिका, प्रशिक्षण पुस्तिका, पुस्तिका आदि शामिल) की आपूर्ति।
- वित्तीय संस्थानों, बैंकों, एनएसटीएफडीसी के साथ समझौतों के जरिये एसएचजी के लिए कार्यशील पूंजी का प्रावधान।
- एक ही गांव में ऐसे 10 एसएचजी के क्लस्टर से वन धन विकास केन्द्र बनेगा। एक केन्द्र में समूह के सफल संचालन के आधार पर अगले चरण में समूह के सदस्यों के उपयोग के लिए भवन, गोदाम जैसी सामान्य बुनियादी ढांचा सुविधाएं (पक्का केन्द्र) उपलब्ध कराई जा सकती हैं।
- इस पहल के अंतर्गत कवर किये जा सकने वाले प्रमुख गौण वनोत्पादों की सूची में इमली, महुआ के फूल, महुआ के बीज, पहाड़ी झाड़ू, चिरौंजी, शहद, साल के बीज, साल की पत्तियां, बांस, आम (अमचुर), आंवला (चूरन/कैंडी), तेज़ पट्टा, इलायची, काली मिर्च, हल्दी, सौंठ, दालचीनी, आदि शामिल हैं। इनके अलावा मूल्यवर्धन के लिए संभावित अन्य एमएफपी शामिल किये जा सकते हैं।