- जलवायु लचीली कृषि के लिए महाराष्ट्र परियोजना’ को ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में क्रियान्वित किया जाएगा जो मुख्यत: वर्षा जल से सिंचित कृषि पर निर्भर रहते हैं। इस परियोजना के तहत खेत एवं जल-संभर स्तर पर अनेक गतिविधियां शुरू की जाएंगी। इसके तहत सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों, सतही जल भंडारण के विस्तार और जलभृत पुनर्भरण की सुविधा जैसी जलवायु-लचीली प्रौद्योगिकियों का व्यापक उपयोग किया जाएगा जिससे दुर्लभ जल संसाधनों का और भी अधिक कारगर ढंग से उपयोग करने में उल्लेखनीय योगदान मिलने की आशा है। इस परियोजना के तहत अल्प परिपक्वता अवधि वाली और सूखा एवं गर्मी प्रतिरोधी जलवायु-लचीली बीज किस्मों को अपना कर जलवायु के कारण फसलों के प्रभावित होने के जोखिमों को कम करने के साथ-साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
- हाल के वर्षों में प्रतिकूल मौसम से महाराष्ट्र में कृषि बुरी तरह प्रभावित हुई है। महाराष्ट्र में मुख्यत: छोटे और सीमांत किसानों द्वारा खेती की जाती है। महाराष्ट्र के किसानों की फसल उत्पादकता अपेक्षाकृत कम है और वे काफी हद तक वर्षा जल पर ही निर्भर रहते हैं। हाल के वर्षों में भंयकर सूखा पड़ने से इस राज्य में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अथवा पैदावार बुरी तरह प्रभावित हुई है।
- जलवायु-लचीली कृषि जिंसों से जुड़ी उभरती मूल्य श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से इस परियोजना के तहत किसान उत्पादक संगठनों की क्षमता बढ़ाई जाएगी, ताकि वे टिकाऊ, बाजार उन्मुख और कृषि-उद्यमों के रूप में परिचालन कर सकें। इससे उन विभिन्न स्थानीय संस्थानों के जलवायु-लचीली कृषि एजेंडे को मुख्य धारा में लाने में मदद मिलेगी जो कृषि समुदाय को खेती-बाड़ी से संबंधित सेवाएं मुहैया कराते हैं।