उद्देश्यश है रजोधर्म के प्रति समूचे राष्ट्रत में चेतना निर्माण करना ताकि रजोधर्म (पीरियड) के प्रति जो रूढिवादी सोच, अंधविश्वाकस और झेंप है, वह खत्मि हों ।
देश में अकेले 12 प्रतिशत महिलाएं ही उपयुक्तं सेनेट्री नैपकिन पाती है और उनमें से भी 90 प्रतिशत सेनेट्री नैपकिन प्लाअस्टिक के बने होते हैं जिनको नष्टं होने में 800 वर्ष लगते हैं । ऐसे प्लािस्टिक नैपकिन, पर्यावरण के अलावा शरीर के लिए हानिकारक होते हैं । गरीब और ग्रामीण अंचल में रहने वाली किशोरियां एवं मासिक धर्म से गुजरती हुई महिलाओं को उपयुक्तर सुरक्षा आवरण नहीं मिलने के कारण उनमें संक्रमण होता है । वे बीमारी का शिकार होती हैं और कई बार यह संक्रमण जीवन घातक हो जाता है
READ : केंद्र सरकार का नया नियम, यौन शोषण की शिकार महिला कर्मचारी को मिलेगी 90 दिन की पेड लीव