इसलिए मेहनती लोगों को भी नहीं मिलती सफलता

Why hardworking people do not achieve success?

कुछ लोग अपने सहकर्मियों के मुकाबले ज्यादा जानकार होते हैं। दूसरों से ज्यादा मेहनत करते हैं और खुद को आगे बढ़ाते हैं लेकिन फिर भी वे बड़ी सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं। मेहनत करने के बाद भी सफलता हासिल नहीं कर पाने के लिए कुछ कारण जिम्मेदार होते हैं जिनकी तलाश बहुत ही जरूरी है।

नए लोगों से मुलाकात नहीं
कुछ लोग नए लोगों के साथ मुलाकात से बचते हैं। वे उन्हीं लोगों के साथ सहज होते हैं जिनके साथ लंबे समय से काम कर रहे हैं। लंबे समय तक साथ काम करने वाले एकदूसरे की आदतों और व्यवहार के बारे में जानते हैं। हालांकि उन्हीं लोगों के साथ लंबा वक्त बिताने पर व्यक्ति नई चीजें नहीं सीख पाता है और उन्हीं-उन्हीं आयडियाज को बार-बार दोहराता है। एक तयशुदा दायरे से बाहर की सोचना उसके लिए संभव नहीं हो पाता है।
पुराने दोस्तों के साथ मित्रता बनाए रखना जरूरी है लेकिन नए दोस्त बनाना भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। हर सप्ताह कुछ नए लोगों से मिलना शुरू कीजिए। नए लोगों से मिलने पर आपके दृष्टिकोण में भी बदलाव आएगा और आप बेहतर तरीके से सोच पाएंगे। शायद नए लोगों से मुलाकात नहीं होने के कारण ही आप सफलता से दूर हैं।

नई परिस्थितियों में सहज नहीं
अक्सर मेहनती लोग तयशुदा स्थितियों में ही काम करने के आदी होते हैं। परिस्थितियों में बदलाव या कार्यशैली में बदलाव के अनुरूप वे खुद को ढाल नहीं पाते हैं और यह उनके राह की सबसे बड़ी समस्या बन जाती है। एक ही तरह के वातावरण में लंबे समय तक रहने के बाद व्यक्ति किसी नए वातावरण में खुद को जल्दी ढाल नहीं पाता है।
असल में बदलाव नई संभावनाओं की तरफ कदम बढ़ाने का नाम है लेकिन मेहनती लोग अपने काम में इतने डूबे होते हैं कि वे बदलाव से दूर रहना पसंद करते हैं। वे चुपचाप अपना काम करना पसंद करते हैं और एक ही तरह की स्थिति में रहना चाहते हैं। यह सुविधा लंबे समय में उनके लिए मुश्किल बन जाती है। यही वजह है कि वे सफलता नहीं पाते हैं।

नपा-तुला जोखिम भी नहीं लेते
लोग दो तरह से जोखिम उठाते हैं। एक तो वे बिना सोचे-विचारे जोखिम उठाते हैं या फिर सोच-विचारकर। कई बार अच्छे और मेहनती लोग इस तरह के जोखिम से बचते हैं और यही वजह है कि उनके कद के अनुरूप सफलता उन्हें नहीं मिल पाती है। कुछ लोग सुरक्षित जीवन में भरोसा करते हैं और वे किसी भी तरह का जोखिम पसंद नहीं करते। करियर के लिहाज से यह चीज उन्हें पीछे रखती है और वे मनचाही सफलता नहीं हासिल कर पाते हैं।

खुद की योग्यता पर भरोसा
अक्सर समझदार और मेहनती लोग अपनी योग्यता पर भरोसा करते हैं। वे मानते हैं कि लोग उनकी काबिलियत के कारण उन्हें तलाश लेंगे लेकिन ऐसा नहीं होता है। जब तक व्यक्ति खुद आगे बढ़कर लोगों से मेलजोल नहीं करेगा तब तक चीजें व्यक्त नहीं होती हैं। अक्सर लोग यह मानते हैं कि वे बहुत काबिल हैं लेकिन चीजें उन्हें उस तरह मिल नहीं पाती हैं क्योंकि वे चीजों को अपने आप घटता देखना चाहते हैं। सफलता पाने के लिए योग्यता के साथ ही साथ प्रयास भी बहुत जरूरी होते हैं। योग्य और मेहनती लोग सिर्फ अपने आप पर भरोसा करते हैं और उनके प्रयासों में कमी रह जाती है।

सफल मौके का इंतजार
सफल व्यक्ति इंतजार करना पसंद नहीं करते जबकि योग्य और मेहनती लोग अगर सफलता तक नहीं पहुंचे हैं तो मानना चाहिए कि वे मौके का इंतजार ही करते रहे। ऐसे लोगों के सामने जब भी मौका आता है तो वे यह कहकर उसे जाने देते हैं कि वे अगले मौके पर जरूर कदम उठाएंगे।
यह बहुत ही बुरी आदत है कि आप हाथ में आए मौके प्रति सजग नहीं हैं और भविष्य की उम्मीद में बैठे हैं। इस तरह बहुत अच्छा काम करने वाले कर्मचारी भी सफलता की ओर नहीं बढ़ पाते हैं। एक ही जगह रुक जाने पर उन्हें न तो बढ़ोतरी मिलती है और न ही वह सम्मान जिसके वे हकदार होते हैं।

अनिर्णय की स्थिति में रहना
योग्य और मेहनती लोग हमेशा अनिर्णय की स्थिति में रहते हैं। योग्यता के दम पर उनके सामने कई संभावनाएं आती हैं लेकिन जब ज्यादा संभावनाएं होती हैं तो वह निर्णय के लिए मुश्किलें पैदा करती हैं। किसी भी एक तरफ जाने का निर्णय इन लोगों के लिए कठिन होता है। वे हमेशा किसी न किसी चीज को खोने से डरते हैं और यही वजह है कि योग्यता के बावजूद वे आगे नहीं बढ़ पाते हैं। अपने सामने आने वाली संभावनाओं को लेकर तुरंत निर्णय सबसे बेहतर होता है। अवसर चूक जाने पर निर्णय तक पहुंचने का कोई फायदा नहीं है।

क्षमताओं पर भरोसा नहीं
जो व्यक्ति जितना योग्य और जानकार होता है वह अक्सर उतना ही विनम्र भी होता है। योग्य व्यक्ति कभी भी अपने काम को लेकर या अपनी योग्यता को लेकर ढिंढोरा नहीं पीटता है। दूसरों से बेहतर होने के बावजूद वह हमेशा इस संदेह में रहता है कि वह नई जगह पर ठीक से प्रदर्शन कर पाएगा भी या नहीं।
यही बात उसे आगे बढ़ने से रोकती है और उसकी सफलता को भी सीमित कर देती है। यदि, किंतु और अगर-मगर के साथ वह अपनी मौजूदा स्थिति में ही बना रहना पसंद करता है और यही कारण है कि योग्यता के बावजूद वह बहुत ज्यादा सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है

 

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