इसरो की नई उड़ान


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पीएसएलवी-सी40 के जरिए कार्टोसैट-2 श्रृंखला  उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। इसके साथ ही इसरो ने अपने उपग्रहों को प्रक्षेपित करने का शतक पूरा कर लिया। शुक्रवार को छोटे-बड़े कुल 31 उपग्रह प्रक्षेपित किए गए। यह उच्च कौशल का काम था। सूक्ष्म एवं अति-सूक्ष्म उपग्रहों में से आधे इसरो ने अमेरिका के लिए छोड़े। बाकी ऐसे उपग्रह भारत, फिनलैंड, कनाडा, फ्रांस, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन के हैं। इस कामयाबी से देश का नाम और रोशन हुआ है।
    चार महीने पहले पीएसएलवी का पिछला प्रक्षेपण (सी39) नाकाम हो गया था। लेकिन सी40 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचाकर इसरो के विज्ञानियों ने यह जाहिर किया कि उनका आत्मविश्वास आज भी बुलंदियों पर है। 
    प्रक्षेपण तकनीक बहुत जटिल, बारीक और चुनौतीपूर्ण मानी जाती है। किसी एजेंसी को इससे जुड़े ठेके तभी मिलते हैं, जब उसकी सफलता की दर अत्यंत ऊंची हो और उसकी क्षमता संदेह से परे हो। इसीलिए इसरो के ताजा प्रयास का कामयाब होना बेहद जरूरी था। 
    आने वाले दिनों में इसरो को कई बड़े प्रक्षेपण करने हैं। 2018 में इसरो को औसतन हर महीने एक उपग्रह का प्रक्षेपण करना है। जीएसएलवी से अंतरिक्ष संबंधी कारोबार में भारत की भूमिका और मजबूत होगी। उसके दो साल बाद एसएसएलवी श्रृंखला की शुरुआत हो सकती है। चंद्रमा और मंगल ग्रह के लिए भारत के नए अभियान भी इस दौर में शुरू होंगे। आज हर भारतवासी इस आत्मविश्वास से ओतप्रोत है कि इसरो इन सबमें सफल होगा और उपग्रह एवं रॉकेट छोड़ने के क्षेत्र में वह दुनिया की नंबर एक एजेंसी बन सकेगा


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