- डेंगू के इलाज के लिए एक बच्ची के परिवार को 18 लाख रु का बिल थमाने वाले गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल ने दवाइयों और दूसरे सामानों पर 1700 गुना तक मुनाफा वसूला था. राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPA) ने यह जानकारी दी है.
- यह बीते सितंबर की घटना है. डेंगू से पीड़ित सात साल की आद्या की बाद में मौत हो गई थी. एनपीपीए जांच कर रहा है कि क्या वाकई किसी डेंगू पीड़ित के 15 दिन के इलाज का खर्च लाखों रुपये हो सकता है.
- एनपीपीए ने जांच में पाया है कि आद्या के इलाज में फोर्टिस ने दवाइयों से लेकर इंजेक्शन और तमाम जरूरी चीजों के लिए अनाप-शनाप दाम वसूले. जिस डिस्पोजल सिरिंज की खरीद अस्पताल प्रशासन ने 15.29 रुपये दिखाई है उसके बिल में 200 रुपये जोड़े गए जो करीब 1208 प्रतिशत का मार्जिन है. इसी तरह ‘थ्री-वे स्टॉप कॉक बाइवाल्व’ के 106 रुपये वसूले गए जिसका खरीद मूल्य 5.77 रु दिखाया गया है यानी अस्पताल ने 1737 प्रतिशत से ज्यादा का फायदा कमाया. इसी तरह 28.35 रुपये में खरीदे गए डोटामाइन इंजेक्शन के 287.50 रु वसूले गए.
इस मामले में फोर्टिस अस्पताल की चौतरफा आलोचना हुई थी. हालांकि अस्पताल ने कहा था कि मूल्य में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती गई है. लेकिन एनपीपीए की जांच रिपोर्ट उसके दावे की कलई खोलती दिख रही है.