सुप्रीम कोर्ट ने अंतरजातीय या गोत्र के भीतर विवाह करने वाले युवक-युवतियों पर किसी भी तरह के हमले को गैर-कानूनी बताया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, ‘अगर कोई बालिग लड़का और लड़की शादी करता है तो कोई खाप पंचायत, व्यक्ति या समाज उन पर सवाल नहीं उठा सकता.’ शीर्ष अदालत एनजीओ ‘शक्ति वाहिनी’ की याचिका पर सुनवाई कर रही है. इसमें ऑनर किलिंग (परिवार के कथित सम्मान के नाम पर हत्या) रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने अंतरजातीय विवाह करने वाले युवक-युवतियों की हत्या और उत्पीड़न को रोकने के लिए न्यायमित्र राजू रामचंद्रन द्वारा दिए गए सुझावों पर केंद्र से जवाब मांगा है.
अदालत ने यह भी कहा कि अगर केंद्र ने खाप पंचायतों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया तो फिर उसे कोई कदम उठाना पड़ेगा.
इससे पहले केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से ही खाप पंचायतों द्वारा महिलाओं के खिलाफ किए जाने वाले अपराधों की निगरानी के लिए कोई व्यवस्था बनाने की अपील कर चुकी है. केंद्र ने यह भी कहा था कि पुलिस ऐसे मामलों में महिलाओं को सुरक्षा दे पाने में सक्षम नहीं है. खाप पंचायत गांवों में जाति या समुदाय आधारित संगठन होते हैं. ये अर्द्ध न्यायिक संस्था की तरह काम करते हैं और परंपराओं के आधार पर फैसले सुनाते हैं.
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