क्यों सबसे अलग है यह नई पीढ़ी
आम तौर पर अलग-अलग पीढ़ियों को संबोधित करने के लिए अलग-अलग नामों का उपयोग होता आया है, जैसे बेबी बूमर्स, जेन एक्स, जेन वाय इत्यादि। हालांकि इन संबोधनों को वैश्विक स्तर पर लागू करने का अर्थ नहीं है। हर देश और संस्कृति का अपना संदर्भ होता है। पश्चिम में विकसित किसी व्याख्या को बिना सोचे भारत जैसी संस्कृति में लागू करना मूर्खतापूर्ण ही कहा जाएगा। हालांकि ‘मिलेनियल्स' (नई सदी में जवान हुई पीढ़ी) का मामला कुछ अलग है। इस पीढ़ी और पहले की पीढ़ियों में अंतर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस पीढ़ी की प्राथमिकताएं और दुनिया को देखने का नजरिया अलहदा है, इसलिए इस पीढ़ी का वैश्विक नामकरण संभव है।
सबसे पहले तो इस पीढ़ी की लगाम डिजिटल टेक्नोलॉजी के हाथ है और इसकी प्रकृति वैश्विक है। प्रौद्योगिकी का आगमन चूंकि लगभग नई सदी या ‘मिलेनियम' के साथ-साथ हुआ है, इसलिए इस पीढ़ी को ‘मिलेनियल्स' नाम नसीब हुआ है। इस नामकरण के पीछे अपने मजबूत तर्क हैं।
भारत में खासतौर पर हम देखते हैं कि मोबाइल फोन ने इस पीढ़ी को एक खास चरित्र से नवाज दिया है। पहले की तमाम पीढ़ियों से अलग इस पीढ़ी में व्यक्तिवादी भावना गहराई से जमी हुई है। इस पीढ़ी के युवा अपनी निजता को लेकर ज्यादा सजग हैं। वे दुनिया का अनुभव जिस प्रकार से करते हैं, उसी से उनके अंदर व्यक्तिवादी भावना जागती है। मोबाइल फोन अपनी प्रकृति से अपने उपयोगकर्ताओं को न केवल एक अलग इकाई के रूप में स्थापित करता है, बल्कि पूरी दुनिया के बीच ला खड़ा करता है।
एक-एक क्लिक, स्वाइप, पिंच, स्क्रॉल, लाइक, शेयर, रिप्लाई, डिस्लाइक, रिजेक्ट, अन-फ्रेंड जैसे मामूली कदम भी व्यक्ति को आश्वस्त कर देते हैं कि उसका खुद पर या अपने डिजिटल परिवेश पर एक व्यक्ति के रूप में पूरा नियंत्रण है। अनेक डिजिटल उपकरण हैं, जो व्यक्ति को एक इकाई के रूप में तेजी से धारदार बनाने में जुटे हैं। सेल्फी व्यक्ति के रूप में इस पीढ़ी के अपने विकास के दस्तावेज की तरह है। व्यक्ति और उसका फैशन इंस्टाग्राम जैसे सोशल प्लेटफॉर्म पर अंकित होता जा रहा है। टिकटॉक पर कोई भी किसी के जीवन के किसी भी पहलू का वर्णन कर सकता है और बड़े प्रभावी ढंग से अपने दर्शक जुटा सकता है।
कोई भी किसी सोशल मीडिया मंच के जरिए प्रभावी बन सकता है और किसी प्रभावी व्यक्ति का अनुसरण कर सकता है। अपने मुफीद लोगों को जोड़ना सीख सकता है। फैशन, भोजन, मेकअप ज्ञान हो या करियर, व्यक्तित्व संबंधी सलाह, सारा कुछ सहज उपलब्ध है। साथियों से सीखने की क्षमता और एक व्यक्ति के रूप में स्वयं को कायम रखने की क्षमता इस पीढ़ी की विलक्षण विशेषता है।
यह ऐसी पहली पीढ़ी है, जो कई समान स्तरीय अच्छे विकल्पों के बीच चयन की क्षमता से लैस है। तरह-तरह की चीजों को आजमाती है। अपने दृष्टिकोण को छोड़े बिना एक अनुभव से दूसरे अनुभव की ओर आसानी से बढ़ सकती है। चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो, व्यक्तिगत संबंधों का क्षेत्र हो, उपभोग हो या व्यक्तिगत पहचान हो, यह पीढ़ी अपने सारे विकल्प खुले रखना चाहती है। इस पीढ़ी के लोग व्यक्तिवाद और स्वतंत्रता के पीछे भागते हैं, लेकिन जो भी संसाधन उपलब्ध हैं, उनका उपयोग करने में इन्हें खुशी होती है।
इस पीढ़ी के पास परिवार है, जिस पर वह भरोसा करती है और वह परिवार का साथ लेने में संकोच नहीं करती। यह हर तरह के वित्तीय, शारीरिक और भावनात्मक सहयोग के लिए परिवार की ओर झुकती है। इस पीढ़ी में स्वतंत्रता की इच्छा और परिवार पर अटूट निर्भरता के बीच कोई विरोधाभास नहीं देखा जाता है। जहां परिवार की भूमिका सतत है, वहीं अपनी पहचान की यात्रा में दोस्तों की भूमिका भी बहुत स्पष्ट है। दोस्तों का विशाल सुरक्षित दायरा न होता, तो शायद इतने अनुभव संभव नहीं होते। पहले के दौर में समय बिताने के लिए दोस्तों का जमघट लगता था, निठल्ले सब साथ बैठे रहते थे, लेकिन नई पीढ़ी का रुख मिलकर कुछ करने की ओर है और इसमें खपत या उपभोग की क्रियाएं भी निहित हैं। यह उपभोग भी खोज से कहीं अधिक है, यह आत्म-अभिव्यक्ति का एक माध्यम है और यह तरीका युवाओं के बीच चल निकला है। उपभोग यहां न केवल दुनिया को महसूस करने का एक जरिया बन जाता है, बल्कि खुद को व्यक्त करने का एक तरीका भी। यह पीढ़ी उपभोग के विकल्पों को गंभीरता से लेती है और किसी चीज की तलाश में काफी कोशिश और समय भी लगाती है।
अब उत्पादक और उपभोक्ता के बीच की सीमाएं गायब हो रही हैं, क्योंकि नई पीढ़ी एक ही साथ दोनों है। इस पीढ़ी के लिए उपभोग और व्यापक सामाजिक चिंताएं अनिवार्य रूप से अलग-अलग नहीं हैं।
यह पीढ़ी अपनी खुद की ताकत पर यकीन करती है और खुद को व्यक्त करने में बहुत सक्रिय भूमिका निभाती है। यह पीढ़ी पुरानी पीढ़ी से अलग रुख अपनाती है। जरूरी नहीं कि वह परंपरा को माने। यह पुरानी पीढ़ी को नाराज कर सकती है। अपनी व्यक्तिगत इच्छा को प्राथमिकता दे सकती है। यह पीढ़ी खुद को अपनी नौकरी से भी ऊपर रखती है, जिससे नियोक्ता भी घबराए हुए हैं। यह पीढ़ी उपयोगी भी है, क्योंकि यह अपने साथ जोश व जुनून लेकर आती है।
हालांकि इस पीढ़ी के सामने दिमागी सेहत की चुनौती बड़ी है। जिस परिवेश से ये युवा घिरे हैं, उसमें उन्हें खूब संघर्षों से भी गुजरना पड़ता है। इस पीढ़ी को कुछ ज्यादा ही विकल्प उपलब्ध हो जाते हैं, इन्हें तय करना पड़ता है कि इनकी अपनी मांगें क्या हैं, तात्कालिक से आगे व्यापक संदर्भ में सोचना पड़ता है, और यह भी देखना पड़ता है कि दुनिया में क्या चल रहा है। इन सबसे ऐसा तनाव पैदा होता है कि कई बार संतुलन बनाने में मुश्किल आने लगती है। शायद इस पीढ़ी को बहुत जल्दी और बहुत ज्यादा की खोज है। यह सजग और रचनात्मकता की संभावनाओं से भरी अधीर खोज है। साथ ही, इसमें आत्म-विनाश की क्षमता भी है। ‘मिलेनियल्स' की चिंताएं जहां व्यापक और सामाजिक रूप से समावेशी हैं, वहीं यह अत्यधिक आत्म-केंद्रित भी है। लेकिन इस बीच, यह पीढ़ी स्मार्टफोन से खुराक लेती हुई, एल्गोरिद्म व अन्य मशीनों से सीखती हुई अपनी राह पर बढ़ चली है।