#Satyagriha
बेसेल 3 बैंकिंग मानकों को पूरा करने के भारतीय बैंकों को मार्च 2019 तक 416 अरब रुपये से भी ज़्यादा अतिरिक्त पूंजी की ज़रूरत होगी.
- यह रक़म मौजूदा बजट में सरकार द्वारा तय की गई 70 अरब रुपये की रक़म से कहीं ज़्यादा है.
- फिच की रिपोर्ट में इस अनुमानित पूंजी का आंकड़ा एजेंसी के पिछले अनुमान से कम है. इससे पहले उसने 576 अरब रुपये से भी ज़्यादा का आंकड़ा दिया था. इस कमी की वजह कर्ज बाजार में वृद्धि की रफ्तार का धीमा होना है . इस संबंध में फिच ने भारतीय ऋणदाताओं को चेतावनी भी दी थी. उसने चेताया था कि पूंजी बढ़ाने के लिए बैंकों के पास सीमित विकल्प हैं.
- भारतीय बैंकों पर इस समय ऐसे कर्जों को लेकर भारी दबाव है जिन्हें वसूलने में उन्हें बहुत दिक्कत हो रही है. दिसंबर तक ऐसे कर्ज का आंकड़ा 960 अरब रुपये से भी ज़्यादा हो गया था. इसका एक बड़ा हिस्सा सरकारी बैंकों का है. फिच के मुताबिक लगता नहीं कि अतिरिक्त पूंजी को स्वीकृति मिलने तक ये बैंक इस मुश्किल से पीछा छुड़ा पाएंगे.
What is Basel standars of Banking
बेसेल मानक बैंकिंग और वित्तीय संस्थाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का स्वरूप देने के लिए निर्धारित किए गए हैं. माना जाता है कि इन्हें पूरा करने से बैंकों को वित्तीय जोखिमों से बेहतर ढंग से निपटने और अपनी स्थिति को मजबूत बनाने में मदद मिलती है. इन मानकों को स्विटजरलैंड के बेसल शहर में स्थित एक समिति जारी करती है