बड़े असर वाले फैसले: Bank Recapitalisation

Government has done well to commit itself to a bold programme to provide additional capital to public sector banks. The specifics of the plan are not yet completely clear, but it is definitely a step in the right direction.

Dainik_Jagran

केंद्रीय कैबिनेट ने पैसे की किल्लत से जूझ रहे बैकों को 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध कराने के साथ ही करीब सात लाख करोड़ का निवेश कर 83000 किमी सड़कें बनाए जाने की जो घोषणा की उसके अपेक्षित नतीजे सामने आने ही चाहिए।

  • नि:संदेह फंसे हुए कर्ज यानी एनपीए संकट से जूझ रहे बैैंकों को अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध कराना समय की मांग थी।
  • यह सर्वथा उचित है कि इस मांग को पूरा करने के साथ ही यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बैक फिर से किसी नए संकट में न फंसने पाएं।
  • सुधारों से बच रहे बैकों के खिलाफ सख्ती की ही जानी चाहिए। इसका कोई औचित्य नहीं कि उनकी गलतियों की सजा अर्थव्यवस्था को भुगतनी पड़े।
  • अब जब सरकार बैकों की सेहत दुरुस्त करने के उपाय करने जा रही है तो उसे इस पर भी निगाह रखनी चाहिए कि उनके जरिये लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों को भी राहत मिले अर्थात वे बैकों से अपनी जरूरत का कर्ज आसानी से हासिल कर सकें।

हालांकि अर्थव्यवस्था को गति देने वाले कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री ने ऐसे संकेत दिए कि सरकार जल्द ही सरकारी बैंकों के सुधार को लेकर कोई बड़े फैसले कर सकती है, लेकिन उचित यह होगा कि इसमें अधिक देर न की जाए।सुधार के कदम उठाने के साथ इसकी भी कोई व्यवस्था की जाए तो बेहतर कि बैंकों के कामकाज की सतत निगरानी हो सके। चूंकि सड़क निर्माण संबंधी परियोजनाओं को गति देकर पहले भी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ रोजगार की समस्या का समाधान करने में सफलता हासिल की जा चुकी है इसलिए सड़कों का संजाल बिछाए जाने का काम जल्द से जल्द शुरू करने के कदम उठाए जाने चाहिए। अगले पांच साल में 83000 किमी सड़कें बनाए जाने की योजना में 38 हजार किमी सड़कें भारतमाला परियोजना के तहत बननी हैैं। देश के सभी क्षेत्रों को सड़क मार्ग से जोड़ने की दृष्टि से भारतमाला परियोजना एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। चूंकि यह स्वर्णिम चतुर्भुज सरीखी परियोजना है और उसमें कई आर्थिक गलियारे भी शामिल हैैं इसलिए उसके प्रभाव भी कहीं अधिक व्यापक होने चाहिए-न केवल बुनियादी ढांचे को मजबूत देने की दृष्टि से, बल्कि रोजगार के तमाम अवसर उपलब्ध कराने के हिसाब से भी

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Q. 

GS PAPER III

उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।

 

NPA  सुधार से पहले बैंकिंग का पुनर्पूंजीकरण भारत में बैंक क्षेत्र की समस्या को हल करने में कहाँ तक मदद करेगा?

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