- इस साल के चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से दिया गया है। मलेरिया और फाइलेरिया जैसी परजीवी (पैरासाइटिक) बीमारियों की असरदार नई दवाएं खोजने के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया।
- ये तीन वैज्ञानिक हैं-
1. चीन की यूयू तु,
2. आयरलैंड में जन्मे विलियम कैंपबेल और
3. जापान के सतोशी ओमुरा।
- यूयू तु पुरस्कार राशि के आधे हिस्से की हकदार होंगी। उन्होंने मलेरिया की नई दवा आर्टेमिसाइनिन की खोज की। क्लोरोक्विन और कुनैन के नाकाम होने के बाद यह दवा मछर के काटने से होने वाली बीमारी से लड़ने में कारगर साबित हुई है।
- यूयू तु को मलेरियारोधी दवा आर्टेमिसाइनिन और डाइहाइड्रोआर्टेमिसाइनिन की खोज के लिए जाना जाता है।
- दक्षिण एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के विकासशील देशों में लोगों की सेहत को सुधारने में ये दवाएं बहुत कारगर साबित हुई हैं। उन्होंने पारंपरिक चीनी हर्बल औषधि से यह दवा तैयार की। उनकी दवा के कारण मलेरिया से होने वाली मौत की दर में उल्लेखनीय कमी आई।
- कैंपबेल और ओमुरा को बाकी आधी पुरस्कार राशि में आधी-आधी मिलेगी। दोनों ने राउंड वॉर्म पैरासाइट (कीड़ों) से होने वाले संक्रमण के इलाज की नई दवा एवरमेक्टिन की खोज की।
- इससे रिवर ब्लाइंडनेस और लिम्फैटिक फिलारियासिस (फाइलेरिया) के मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है। इसके अलावा यह अन्य परजीवी संक्रमण (पैरासाइटिक बीमारियों) के इलाज में भी कारगर है।
- दुनिया में गरीब देशों में रह रहे 3.4 अरब लोगों में से अधिकतर परजीवी संक्रमण के शिकार होते हैं।