- स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होने से औसत आयु बढ़ रही है जिससे बुजुर्गो की संख्या बढ़ रही है। लेकिन चिंताजनक यह है कि भरे-पूरे परिवार से बुजुर्ग लगातार गायब हो रहे हैं। यानी बुजुर्ग अपनों से ही दूर हो रहे हैं।
क्या कहता है सर्वे
- नेशनल सैंपल सर्वेक्षण (एनएसएसओ) रिपोर्ट के अनुसार 2004 में हुए सर्वेक्षण के दौरान पाया गया कि 37 फीसदी बुजुर्ग अपने परिवार के साथ रहते थे।
- लेकिन 2014 में हुए ऐसे ही दूसरे सर्वेक्षण में इस प्रतिशत में चार फीसदी की कमी आ गई।
- अब 33 फीसदी बुजुर्ग ही परिवार में रह रहे हैं।
- यह प्रतिशत शहरी आबादी का है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार के साथ रहने वाले बुजुर्गो का प्रतिशत 36 से घटकर 34 पर आ गया है। जबकि इसी सर्वेक्षण का एक भाग यह भी बताता है कि 96 फीसदी बुजुर्ग ऐसे थे जिनकी कम से कम एक संतान जीवित थी।
- एक दशक में बुजुर्गो के हक में अच्छी बात यह हुई कि औसत आयु बढ़ने से ऐसे वृद्धों/वृद्धाओं की संख्या बढ़ी है जो अपनी पत्नी या पति के साथ रहते हैं। ऐसे लोगों की संख्या में पांच फीसदी का इजाफा हुआ है। यह रुझान शहर एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में दिखा। शहरों में 63 और गांवों में 61 फीसदी बुजुर्ग अपने जीवनसाथी के साथ रह रहे हैं।