वाहन उद्योग की चिंता और बीएस-5 मानकों को दरकिनार कर सरकार ने चौपहिया मोटर वाहनों पर 1 अप्रैल, 2020 से सीधे बीएस-6 मानक लागू करने का निर्णय लिया है।
- पर्यावरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को देखते हुए यह एक साहसिक फैसला है।
- इससे पहले सरकार द्वारा गठित समिति ने 2024 से बीएस-6 मानकों को लागू किए जाने की सिफारिश की थी।
- वाहन उद्योग भी इससे पहले बीएस-6 मानक लागू किए जाने के खिलाफ था।
- सरकार ने वाहन निर्माताओं से अपील की कि जिस तरह सरकार के सभी मंत्रलयों ने व्यापक देशहित में परस्पर सहयोग का निर्णय लिया है, उसी तरह उन्हें भी इसके अमल में सरकार का सहयोग करना चाहिए।
- हालांकि वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम ने फैसले पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया और कहा कि वह अधिसूचना देखने के बाद ही कोई टिप्पणी करेगा।
- इससे पहले 27 नवंबर को जारी अधिसूचना में चौपहिया वाहनों पर 1 अप्रैल, 2019 से बीएस-5 मानक जबकि अप्रैल 2021 से बीएस-6 मानक लागू करने का प्रस्ताव किया गया था। इस अधिसूचना को अब वापस लिया जाएगा।
=>"वर्तमान स्थिति :-
- फिलहाल चौपहिया वाहनों पर बीएस-4 मानक लागू हैं। लेकिन इन्हें भी केवल उत्तर भारत (पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश व राजस्थान के कुछ हिस्सों) में लागू किया जा सका।
- पूरे भारत में बीएस-4 मानक 2017 से लागू करने का सरकार का प्रस्ताव था। परंतु मौसम पर वैश्विक समझौते, वायु प्रदूषण पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की सख्ती, 2000 सीसी से ऊपर के एसयूवी व डीज़ल कारों के पंजीकरण के अलावा बाहरी ट्रकों के दिल्ली में प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक तथा दिल्ली सरकार की ओर से वाहन यातायात पर ऑड-ईवन फॉमरूला लागू किए जाने के बाद सरकार को बीएस-5 को छोड़ 2020 से सीधे बीएस-6 मानक लागू करने का निर्णय लेना पड़ा है।
- इसकी एक वजह यह भी है कि बीएस-5 और बीएस-6 ईंधन में जहरीले सल्फर की मात्र बराबर होती है। जहां बीएस-4 ईंधन में 50 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) सल्फर होता है। वहीं बीएस-5 व बीएस-6 दोनों तरह के ईंधनों में सल्फर की मात्र 10 पीपीएम ही होती है।