★प्राकृतिक कारण :-
 क्रमिक विकास की प्रक्रिया के दौरान नई प्रजातियां उत्पन्न होती हैं और वे उस समय विलुप्त हो जाती हैं, जब वे बदलती परिस्थितियों पर जीवित नहीं रह पातीं।
 कोई विशिष्ट प्रजाति अपने अस्तित्व में आने के एक करोड़ साल बाद विलुप्त हो जाती है। हालांकि कुछ प्रजातियां, जिन्हें जीवित जीवाश्म कहा जाता है, बच जाती हैं और करोड़ों बरस बीतने पर भी अपरिवर्तित रहती हैं।
 विलुप्तता, एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, अनुमान है कि कभी भी अस्तित्व में रहीं 99.9 फीसदी प्रजातियां अब विलुप्त हो चुकी हैं।
★मानवीय कारण
 क्षमता से अधिक दोहन।
 तकनीकी विकास से पर्यावरण को नुकसान।
 जलवायु परिवर्तन की वजह बनी कृत्रिम गैसों के उत्सर्जन से वायुमंडल में पसरा प्रदूषण।
 अनियमित पर्यटन।
अतिक्रमण एवं शिकार।