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ग्रीन हाउस गैसेस की सांद्रता लगातार बढ़ रही है, वायु प्रदूषण की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। पृथ्वी के तमाम हिस्सों में कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) की मात्रा साल दर साल बढ़ती जा रही है।
- इसी का नतीजा है कि दक्षिणी ध्रुव पर चालीस लाख वर्ष में पहली बार खतरनाक गैस की मात्रा 400 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) को पार कर गई है। पिछले
- चार वर्षों से कार्बन की मात्रा में दो पीपीएम से ज्यादा की सालाना वृद्धि दर्ज की जा रही है। जलवायु वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि की है।
- जंगलों के घटते दायरे और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है।
- दक्षिणी ध्रुव पृथ्वी का अंतिम हिस्सा था, जहां के वायुमंडल में कार्बन की मात्रा 400 पीपीएम से कम थी। एनओएए ने वर्ष 1958 से वायुमंडल में कार्बन की मात्रा पर नजर रखना शुरू किया था। पिछले साल कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 399 पीपीएम थी।
- शोधकर्ताओं के मुताबिक वर्ष 2015 में कार्बन में 3.05 पीपीएम की वृद्धि दर्ज की गई थी। पिछले 56 वर्षों में कार्बन की मात्रा में यह रिकॉर्ड सालाना वृद्धि थी।
इसके लिए प्रशांत महासागर में पिछले कुछ वर्षों से सक्रिय अल-नीनो को जिम्मेदार ठहराया गया है। वैज्ञानिकों ने पांचवें साल भी कार्बन की मात्रा में दो पीपीएम से ज्यादा की वृद्धि की आशंका जताई है। इसके लिए मानवीय गतिविधियां मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।