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गंगा को स्वच्छ बनाने के तमाम दावों और अभियानों के बीच ताजा खबर यह है कि इस नदी का पानी अब हरिद्वार में ही नहाने लायक तक नहीं रह गया है. यह जानकारी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत एक आवेदन के जवाब में दी है~ सीपीसीबी ने कहा है कि हरिद्वार में गंगा का पानी लगभग सभी मानकों पर विफल रहा है.
Pollution in GANGA
रिपोर्ट के मुताबिक सीपीसीबी ने उत्तराखंड में गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक 11 जगहों से नमूने लेकर उनकी जांच की थी. सीपीसीबी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक आरएम भारद्वाज ने बताया कि इसमें पानी के तापमान, उसमें घुली ऑक्सीजन, जैविक ऑक्सीजन की मांग (बीओडी) और कोलिफॉर्म (बैक्टीरिया) की जांच शामिल थी.
What rule says:
सीपीसीबी नियमों के मुताबिक अगर किसी नदी में बीओडी का स्तर तीन मिलीग्राम प्रति लीटर है तो उसका पानी नहाने के लिए सुरक्षित है. लेकिन, हरिद्वार में गंगा के पानी में यह स्तर 6.4 मिग्रा प्रति लीटर पाया गया. इसी तरह कोलिफॉर्म का स्तर प्रति 100 मिलीलीटर में 1600 एमपीएन तक मिला जबकि स्वीकार्य स्तर प्रति 100 मिलीलीटर 500 एमपीएन है. इसी तरह पानी में घुली ऑक्सीजन का स्वीकार्य स्तर पांच मिलीग्राम प्रति लीटर है, लेकिन हरिद्वार में यह चार मिलीग्राम से 10.8 मिलीग्राम प्रतिलीटर पाया गया.