- देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जानेवाली भारतीय रेल के एक बड़े हिस्से में आज भी डीजल इंजन चल रहे हैं। इससे पर्यावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है, अर्थव्यवस्था पर भी भार पड़ रहा है। डीजल की उपलब्धता के लिए बड़ी रकम खर्च करनी पड़ रही है।
- ऐसे में निकट भविष्य में मेथनॉल इसका महत्वपूर्ण विकल्प होगा। रेलगाड़ियों के इंजन मेथनॉल से चलेंगे।
- हाई पावर डीजल इंजन को मेथनॉल से चलनेवाले इंजन में बदल दिया जाएगा।
- पड़ोसी मुल्क चीन में ईंधन से चलनेवाले वाहनों में तकनीकी बदलाव कर मेथनॉल से चलने लायक बनाया है। स्वीडन में पानी के जहाज में भी यह तकनीक कारगर साबित हो चुकी है। इसलिए भारत में इसे अब रेलवे में लागू किया जाएगा।
- मेथनॉल से चलनेवाले रेल इंजनों से कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा जिससे पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
- प्रोजेक्ट पूरी तरह मेक इन इंडिया आधारित होगा और इसमें विदेशी मदद नहीं ली जाएगी।
- देश में आज बड़े पैमाने पर एलपीजी का उपयोग हो रहा है और इसके लिए एलपीजी आयात करना पड़ रहा है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में कोयला, लकड़ी और केरोसिन ही रसोई में उपयोग में लाया जा रहा है जिससे प्रदूषण की समस्या बरकरार है। इसके विकल्प के रूप में मेथनॉल स्टोव रसोई तक पहुंचेगा।
- इससे न तो कार्बन उत्सर्जन होगा और न ही धुएं की समस्या आएगी। डीजल जेनरेटर को भी मेथनॉल जेनरेटर में कन्वर्ट किया जाएगा।
क्या है मेथनॉल
मेथनॉल एक कार्बनिक यौगिक है। यह सबसे सरल अल्कोहल है जिसका उपयोग ईंधन के रूप में होता है। यह बायोडीजल के उत्पादन में भी उपयोगी है।