बेतहाशा शहरीकरण और तेजी से हो रहे निर्माण के चलते सैकड़ों तालाबों का अस्तित्व मिट चुका है। तालाबों और झीलों की जगह पार्क, स्कूल, कार्यालय व मकान बनाए जा रहे हैं।
Øदिल्ली में 285 तालाब ऐसे हैं जिन पर अतिक्रमण हो चुका है।
Øविशेषज्ञ बताते हैं कि यमुना की गोद और अरावली की पहाड़ियों के आंचल में बैठी दिल्ली में झील व तालाबों की कमी नहीं थी। चिंताजनक यह है कि अदालतों के हस्तक्षेप से जलाशयों के जीर्णोद्धार के लिए कई बार योजनाएं तो बनीं, लेकिन वो परवान नहीं चढ़ पाईं।
Øइस वजह से जिन जलाशयों में हाल के वर्षो तक पानी होता था, वे भी सूखने की कगार पर हैं।
Øकुछ तथ्य : अदालत के आदेश से दिल्ली पार्क व गार्डन समिति ने एक सर्वे कराया था जिसमें पता चला कि दिल्ली में 1011 तालाब थे। इनमें से 971 तालाबों का अस्तित्व ही मिल पाया, जबकि 40 तालाबों का नामोनिशान मिट चुका है। जिन तालाबों का अस्तित्व मिला, उनमें से 342 तालाबों का पहले सरकारी दस्तावेजों में कोई रिकॉर्ड नहीं था। सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार 338 तालाब सूखे रहते हैं। 168 तालाबों पर अतिक्रमण है और 117 पर निर्माण हो चुका है। कड़कड़डूमा झील पर भी पार्क का निर्माण हो गया है और तिहाड़ झील भी सूख चुकी है।