"विलुप्त होने के कगार पर चीता: IUCN"

* धरती के सबसे तेज प्राणी चीता के विलुप्त होने का खतरा है। भारतीय समेत शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया है कि चीता की मौजूदा संख्या का आकलन केवल अनुमान है।

* नए शोध अध्ययन के मुताबिक, चीता के गढ़ केन्या के मासी मारा में उसकी संख्या पूर्व में जितनी सोची गई थी, उससे काफी कम है।

* माना जाता था कि 1900 की शुरुआत में धरती पर करीब एक लाख चीता थे। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आइयूसीएन) के ताजा आकलन में मुख्य रूप से पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में यह संख्या 6,600 बताई गई है।

* केन्या के वन्यजीव ट्रस्ट के "मारा चीता प्रोजेक्ट", ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और कोलकाता के इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की टीम के मुताबिक, यह संख्या केवल अनुमान ही है।

* चीता की सही-सही गिनती बहुत मुश्किल काम है।

*मारा चीता प्रोजेक्ट के परियोजना निदेशक और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता के अनुसार चीता कम घनत्व वाली जगह में पाए जाते हैं और लंबी दूरी तय करते हैं, इसलिए उनको ढूंढ पाना कठिन होता है।

* 20 देशों में चीता विलुप्त हो चुके हैं और अपने ऐतिहासिक क्षेत्र के केवल 17 फीसद में सिमट कर रह गए हैं।

* शोधकर्ताओं ने चीता की सटीक गिनती के लिए एक नया तरीका विकसित किया है। इससे उनके विलुप्त होने के खतरे की तीव्रता का पता चलेगा और उनके संरक्षण के तरीकों का आकलन होगा।

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