WHO की प्रदुषण पर रिपोर्ट

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार
    नई दिल्ली अब विश्व का सबसे प्रदूषित शहर नहीं रहा। लेकिन चार अन्य भारतीय शहर सात सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं।
  • WHO ने  चेतावनी दी कि विश्व के शहरी निवासियों में से 80 प्रतिशत से अधिक खराब हवा में सांस लेते हैं। 
  • ईरान के जाबोला शहर को शीर्ष स्थान दिया गया है।
  • 2014 में प्रदूषण के मामले में दिल्ली दुनिया में पहले नंबर पर थी।शीर्ष 10 में भारत के चार : प्रदूषण के मामले में भारत के चार शहरों को शीर्ष 10 में रखा गया है।
  • सूची में ग्वालियर का दूसरा, तीसरा स्थान इलाहाबाद का, चौथा स्थान पटना का और पांचवा स्थान रायपुर का है।
  • अगर शीर्ष 20 की बात करें तो इस बार भारत के 10 शहर शामिल हैं। जबकि 2104 में 20 में से 13 शहर भारत के थे।
  • कई उपायों के बाद प्रदूषण के लिहाज से दिल्ली में यह बदलाव सामने आया है जो केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों की ओर से उठाए गए। इसमें पर्यावरणीय उपकर लगाया जाना और सम-विषम वाहन योजना लागू करना शामिल है। 
  • गरीब देशों पर ज्यादा मार : रिपोर्ट के मुताबिक, गरीब देशों के 98 फीसदी शहरों का वायु प्रदूषण के मामले में बुरा हाल है और वे पीएम 2.5 के मामले में काफी नीचे हैं। हालांकि विकसित और विकासशील देशों के 44 फीसदी शहर इस पैमाने पर खरे उतरते हैं।

क्या है पीएम 2.5: सूक्ष्म कण या पार्टिकुलेट मैटर वे जहरीले कण होते हैं, जिनका आकार इतना छोटा होता है कि वे सांस के जरिये हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और खास तौर से फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं| इन कणों को विशेष उपकरणों की मदद से ही देखा जा सकता है. बड़ी मात्रा में जमा होने की स्थिति में आप इसे स्मॉग या घने कोहरे के तौर पर देख सकते हैं.

 

Source of PM

  • इस खतरनाक कण को उसकी साइज से मापा जाता है न कि यह किससे बना है इसलिए इसका कोई निश्चित जवाब नहीं है |  यह ठोस और द्रव्य रासायनों से बना हो सकता है| इसमें निम्नलिखित चारों मैटीरियल्स के कण मौजूद हो सकते हैं. 
  • कार्बन-कार, ट्रक और कूड़ा जलाने से
  • नाइट्रेट-कार, ट्रक और थर्मल पावर जेनरेशन से
  • सल्फेट-थर्मल पावर जेनरेशन से 
  • क्रिस्टल-मिट्टी और धातु के टुकड़े

होने वाले प्रभाव :

  • सूक्ष्म आकार का होने की वजह से यह आसानी से फेंफड़े तक पहुंच सकता है. और फिर इसके बाद यह खून के जरिये हार्ट तक जा सकता है.
  • पीएम 2.5 का लगातार सेवन अस्थामा और हार्ट से जुड़ी बीमारियां पैदा करने की क्षमता रखता है. इसके अलावा कफ, नाक बहना और लगातार छींकने की समस्या भी पैदा हो सकती है
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक बच्चों में फेंफड़े के विकास में बाधा आ सकती है और फिर पूरा जीवन उन्हें कमजोर फेंफडे़ की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. 
  • पीएम 2.5 डीजल वाहनों से निकलता है जिसमें कार्बन होता है और यह कैंसर पैदा करने की क्षमता रखता है 
  • पीएम 2.5 की वजह से कमजोरी होती है और इससे दुनिया भर में हर साल 31 लाख लोगों की मौत होती है. 
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पीएम 2.5 के लगातार असर से लोगों की औसत आयु में 8.6 महीने की कमी आती है.

 

 

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