फिलहाल चीन की मनाही के बावज़ूद ब्रिक्स घोषणा पत्र में लश्कर और जैश का नाम शामिल कराने में भारत सफल

डोकलाम विवाद पर मात खाने के बाद अब चीन को ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन, दक्षिण अफ्रीका) सम्मेलन में भी भारत के हाथों कूटनीतिक पराजय झेलनी पड़ी है. चीन चाहता था कि इस सम्मेलन में आतंकवाद के मसले का ज़िक्र न हो. उसकी ओर से इस बाबत भारत के लिए सुझाव भी दिया गया था. इसके बावज़ूद ब्रिक्स घोषणा पत्र में पाकिस्तान में मौज़ूद आतंकी संगठनों- लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का नाम शामिल किया गया है.

  • इस घटनाक्रम को भारत की कूटनीतिक जीत के साथ ही पाकिस्तान के लिए बड़ी शर्म का विषय माना जा रहा
  • BRICS ने अपने संयुक्त घोषणा पत्र में सभी देशों से आग्रह किया है कि आतंकवाद के ख़िलाफ मिलकर संघर्ष किया जाए. कट्‌टरपंथ को खत्म करने और आतंकी संगठनों को मिलने वाली आर्थिक मदद के रास्ते बंद करने के लिए भी आपसी सहयोग बढ़ाया जाए. इसके अलावा जल्द ही संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन आयोजित करने का भी आग्रह किया गया है.
  • संयुक्त घोषणा पत्र में क्षेत्रीय सुरक्षा के साथ ही तालिबान, अल-क़ायदा और पाकिस्तान में मौज़ूद एलईटी तथा जेईएम जैसे आतंकी संगठनों की हिंसा पर भी चिंता ज़ताई गई है.
  • प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी की स्थापना पर भी बल दिया. ताकि विकासशील देशों की वित्तीय ज़रूरतों को और बेहतर ढंग से पूरा किया जा सके. उन्होंने कहा, ‘भारत सहित ब्रिक्स के सभी सदस्य देश अपने यहां से ग़रीबी उन्मूलन के लिए मिशन मोड पर काम कर रहे हैं. हम अपने देश के लोगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, कौशल, खाद्य सुरक्षा, लैंगिक समानता, ऊर्जा, जैसी मूलभूत ज़रूरते सुनिश्चित करने के लिए भी ऐसे ही मिशन चला रहे हैं. हमारे केंद्रीय बैंक इस मिशन में और प्रभावी भूमिका निभा सकें इसलिए उन्हें ज़्यादा मज़बूती देने की भी ज़रूरत है.