UN Peacekeeping Force
- भारत, अमेरिका और चीन समेत दुनिया के 50 से ज्यादा देशों के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण संचालन आधुनिक बनाने का प्रण किया.
- संयुक्त राष्ट्र में आयोजित उच्च स्तरीय शांतिरक्षण शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और अनेक विश्व नेता मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून के साथ शामिल हुए.
- उन्होंने यौन शोषण और यौन दुर्व्यवहार के सभी रूपों के प्रति संयुक्त राष्ट्र की ‘‘कत्तई बरदाश्त नहीं’’ की नीति का भी फिर से अनुमोदन किया. नेताओं ने कहा, ‘हम शांतिरक्षण को और मजबूत करने के लिए अपनी तरफ से कोशिश करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं.’’
- घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘हम उजागर करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण संचालन तब सर्वाधिक प्रभावी होते हैं जब वे हिंसक झड़प के खात्मे के लिए काम करते हैं, विवाद के शांतिपूर्ण हल ढूंढने में सभी पक्षों का विश्वास बढ़ाते हैं और शांति के उद्देश्यों को बढ़ाने में मदद करते हैं.’’
- घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘हम संयुक्त राष्ट्र मध्यस्थता, पद के प्रभाव और विशेष राजनीतिक मिशन के उपयोग के मार्फत समेत झड़प को कम करने और उसे दूर करने के प्रयासों के प्राथमिक महत्व की पुष्टि करते हैं.’’
- संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की रिपोर्ट के मार्फत सुधार के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के प्रयास का स्वागत करते हुए इसने ऐसी सच्ची समेकित मिशन प्लानिंग और आकलन प्रक्रिया की जरूरत रेखांकित की जो राजनीतिक लक्ष्यों के साथ संचालनों और साजो-सामान को जोड़ती है.
- सरकारों ने संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण के प्रति जो अतिरिक्त उल्लेखनीय दायित्व जताए हैं वे क्षमता के अंतराल को पाटेंगे, सशस्त्र बलों के कार्यप्रदर्शन और क्षमताओं में सुधार करेंगे और भावी शांतिरक्षण प्रयासों के लिए बुनियाद मजबूत करेंगे.
- दूसरे सदस्य देशों का आह्वान किया कि वे संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण के लिए अतिरिक्त दायित्वों की घोषणा करने में उनके साथ शामिल हों.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में अफसोस जताया कि शांतिरक्षा अभियानों में योगदान देने वाले देशों की बदलते सुरक्षा माहौल में निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं है.
- ‘‘आम तौर पर समस्याएं इसलिए पैदा होती हैं क्योंकि सैनिकों का योगदान करने वाले देश निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन देशों के पास वरिष्ठ प्रबंधन और बल कमांडरों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है.’’
- प्रधानमंत्री ने कहा कि शांतिरक्षकों को सिर्फ शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए नहीं बुलाया जाता, बल्कि उन्हें कई जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए भी बुलाया जाता है. घोषणापत्र में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण संचालनों की प्रभावक्षमता तमाम सदस्य देशों की जिम्मेदारी है और खास तौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, सैनिकों और पुलिसकर्मियों का योगदान करने वाले देशों, वित्तीय योगदान करने वालों, मेजबान देशों, संयुक्त राष्ट्र सचिवालय और क्षेत्रीय संगठनों की साझेदारी पर निर्भर करती है.
- नेताओं ने जोर दिया कि शांतिरक्षण संचालनों में सदस्य नेताओं के योगदान के साथ ये सुधार भी होने चाहिए कि कैसे संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण संगठित और समर्थित किए जाते हैं. विश्व नेताओं ने दुनिया की कुछ सर्वाधिक मुश्किल स्थिरीकरण चुनौतियों से निबटने में उपक्षेत्रीय और क्षेत्रीय संगठनों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका स्वीकार की और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के खतरों से निबटने में संयुक्त राष्ट्र एवं ऐसे क्षेत्रीय संगठनों के बीच ज्यादा गहरी साझेदारियों तथा सहयोग के समर्थन के प्रति अपनी वचनबद्धता जताई.