*महिला सशक्तीकरण** इन आंकडों को कहीं भी फिट कर सकते हैं!!
- मानव विकास के इतिहास में महिलाएं पुरुषों जितना ही आवश्यक रही हैं। वास्तव में किसी समाज में महिलाओं की हैसियत, रोजगार और उनके द्वारा किया जाने वाला काम देश के समग्र विकास के सूचकांक होते हैं। राष्ट्रीय गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी के बिना किसी भी राष्ट्र का सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक विकास ठहर जाता है। भले ही दुनिया में महिलाओं की हिस्सेदारी आधी हो लेकिन दुनिया के कुल कामकाज के घंटों में उनकी दो तिहाई हिस्सेदारी होती है। दुनिया की कुल आय में महिलाओं की एक तिहाई हिस्सेदारी है जबकि कुल संसाधनों के दसवें हिस्से पर ही वे काबिज हैं। वैश्विक स्तर पर आर्थिक आधार पर महिलाओं की यह दयनीय दशा भारत में और भी खराब स्थिति में है।
सशक्तीकरण के मायने
यह एक बहुआयामी प्रक्रिया है। इसके द्वारा किसी महिला या समूह को इस लायक बनाया जा सकता है कि वे जीवन के हर क्षेत्र में अपनी पूर्ण पहचान और शक्ति को महसूस कर सकें। यह तभी संभव होगा जब हम उन्हें बड़े पैमाने पर ज्ञान और संसाधन मुहैया कराएंगे। महिलाओं का सशक्तीकरण सही शिक्षा देकर, स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मुहैया कराकर, परिवार और समुदाय में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ाकर किया जा सकता है।
श्रम सहभागिता
देश में सौ पुरुष श्रम पर महिलाओं का अनुपात 80.7 है। हालांकि एक वैश्विक अध्ययन के मुताबिक महिला श्रम भागीदारी में 1990 के बाद होती तेज वृद्धि सुखद संकेत देती है।
लैंगिक भेद
वैश्विक लैंगिक भेद सूचकांक 2014 में 142 देशों में भारत 114वें पायदान पर है। अन्य विषयों में पिछड़ापन हमारे प्रयासों की कलई खोलता है।
विषय -- रैंक -- महिला-पुरुष अनुपात
आर्थिक भागीदारी और अवसर -- 134 -- 0.410
श्रमशक्ति भागीदारी -- 130 -- 0.36
वेतन समानता -- 109 -- 0.56
अनुमानित आय (डॉलर) -- 135 -- 0.24
शिक्षा पाने में -- 126 -- 0.850
साक्षरता दर -- 126 -- 0.68
प्राथमिक शिक्षा में नामांकन -- 117 -- 0.97
माध्यमिक शिक्षा में नामांकन -- 116 -- 0.79
उच्च शिक्षा में नामांकन -- 111 -- 0.78
स्वास्थ्य उतरजीविता -- 141 -- 0.937
लिंगानुपात (जन्म पर) -- 139 -- 0.89
जीवन प्रत्याशा -- 95 -- 1.04
राजनीतिक सशक्तीकरण -- 15 -- 0.385
संसद में महिलाएं -- 111 -- 0.13
मंत्रीपद पर महिलाएं -- 107 -- 0.10
कार्य सहभागिता
संयुक्त राष्ट्र के लैंगिक संबंधी विकास सूचकांक में देश की खराब स्थिति है। महिला कार्य सहभागिता के मामले में भी हम ब्राजील, श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे देशों से पिछड़े हुए हैं।
साल -- महिला सहभागिता
1970-71 -- 14.2 फीसद
2010-11 -- 31.6 फीसद
परदेस की स्थिति
अमेरिका -- 45 फीसद
ब्रिटेन -- 45 फीसद
कनाडा -- 42 फीसद
इंडोनेशिया -- 40 फीसद
ब्राजील -- 35 फीसद
संपत्ति पर अधिकार
संपत्ति बनाने और उत्तराधिकार संबंधी महिलाओं के अधिकार पुरुषों के बराबर ही हैं, लेकिन व्यवहारिक रूप से महिलाएं इस मामले में भी पीछे हैं। ग्रामीण इलाकों की 70 फीसद जमीन पर पुरुषों का स्वामित्व है।
महिलाओं के प्रति अपराध
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में देश भर में बलात्कार के 33707 मामले दर्ज किए गए। दहेज हत्या से जुड़े 8083 मामले दर्ज किए गए। कुल मामलों की संख्या 3,09,546 रही। यह देश के कुल आइपीसी अपराधों का 11.7 फीसद है।
स्वास्थ्य और उतरजीविता भेद
समाज में लड़कियों और लड़कों का अनुपात गहरा रहा है। एनएफएचएस-3 के अनुसार दो साल की उम्र में इम्युनाइजेशन दर बालकों में 45.3 फीसद जबकि लड़कियों में 41.7 फीसद रही।
महिला उद्यमी
सीएमआइई की 2011 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में महिला उद्यमियों का प्रतिशत 32.82 है। राज्यवार महिला उद्यमियों के आंकड़े अलग-अलग हैं। बड़े राज्यों में बिहार सबसे नीचे और उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है।
राजनीतिक भागीदारी
इंटर पार्लियामेंट यूनियन द्वारा तैयार 189 देशों की सूची में हम 113वें पायदान पर हैं। हद तो तब है जब रवांडा, बोलिविया, एंडोरा, क्यूबा जैसे देश इस मामले में शीर्ष पर हैं। 15वीं लोकसभा में कुल 61 (11 फीसद) महिलाएं जीतीं। राज्यसभा में 29 महिला सांसद (11.9 फीसद) हैं।