ऑरविले : भारत की स्मार्ट सिटीज के लिए आदर्श शहर

  • पुडुचेरी से करीब आठ किलोमीटर उत्तर में बसा ऑरविले सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट शहर योजना के लिए नजीर साबित हो सकता है। ऑरविले में ऐसी कई खूबियां हैं जिनसे सीख लेकर विश्व स्तरीय शहर बसाए जा सकते हैं।
  • बंगाल की खाड़ी के किनारे कोरोमंडल तट पर ऑरविले की नींव 1968 में मीरा अलफासा ने डाली थी, जिन्हें अरविंदो के अनुयायी 'मां' कहते हैं। उस समय यह पठारी भूमि बिल्कुल निर्जन थी, लेकिन आज यहां घनी हरियाली के बीच करीब 20 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ऑरविले शहर बसा है।
  • ऑरविले में 50 देशों से आए करीब ढाई हजार परिवार रहते हैं। यह शहर चेन्नई से महज 150 किलोमीटर दूर है।
  • इस शहर को बसाने के पीछे सिर्फ एक ही मकसद था कि यहां पर लोग जात-पात, ऊंच-नीच और भेदभाव से दूर रहें। यहां कोई भी इंसान आकर रह सकता है, लेकिन उसे एक सेवक के तौर पर रहना होगा।
  • इस शहर की आबादी करीब 24000 लोगों की है। यहां पर एक मंदिर भी है, लेकिन किसी धर्म से जुड़े भगवान की पूजा नहीं होती, यहां लोग योगा करते हैं।

ये सीख ले सकते हैं यहां से

  • यहां अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल होता है। ऑरविले बायोगैस, सौर और पवन ऊर्जा का इस्तेमाल कर न सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी कर रहा है, बल्कि अतिरिक्त बिजली तमिलनाडु सरकार को बेचने की तैयारी कर रहा है।
  • यहां रिहायशी इकाइयों पर लगे सौर ऊर्जा संयंत्रों के अलावा पवन ऊर्जा चालित 40 पंपसेट तथा सौर ऊर्जा चालित 200 पंपसेट भी हैं। साथ ही 75 सोलर कुकर और 25 बायोगैस प्लांट हैं।
  • दूसरी सीख, भूमि अधिग्रहण के लिए देशभर में जहां किसानों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं, वहीं ऑरविले में जमीन लेने का तरीका बिल्कुल अलग है। ऑरविले अपने विस्तार के लिए यहां के गांवों के किसानों से जमीन खरीदता नहीं, बल्कि उनसे जमीन के बदले जमीन लेता है।
  • स्मार्ट शहर बसाने को तीसरी सीख यहां जल संचयन और कचरा प्रबंधन की व्यवस्था से ली जा सकती है। इस्तेमाल किए गए जल को पूरी तरह पुनःउपयोग में लाया जाता है।
  • रोजगार सृजन में भी ऑरविले किसी से पीछे नहीं है। यहां करीब 170 छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं। इनमें हस्तशिल्प, ग्राफिक डिजायन और प्रिंटिंग, खाद्य प्रसंस्करण, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग, कपड़े व फैशन, कंप्यूटर सेवाएं, भवन निर्माण और आर्किटेक्ट का काम होता है। यहां करीब 7,000 लोगों को रोजगार मिला है।

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