अयोध्या राम मंदिर विवादः जानिए इस विवाद का इतिहास, कब -क्या और कैसे

अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर जारी विवाद पर कोई फैसला नहीं हुआ है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। इसे लेकर अदालत ने कहा है कि दोनो ही पक्ष कोर्ट के बाहर इस मुद्दे का आपसी सहमति से हल निकालें और ऐसा नहीं होता है तो वो इसमें मध्यस्थता करेगी। इस महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे का कुछ ऐसा है इतिहास

- 1528 में बाबर ने सीकरी के राजा को हराने के बाद इस मस्जिद का निर्माण करवाया था।

  • 1947 में सरकार ने विवाद होने पर मुस्लिमों को यहां जाने से रोक दिया लेकिन हिंदू अंदर जा सकते थे
  • 1949 में यहा राम लला की मुर्तियां मिलीं। कहा गया कि इन्हें हिंदुओं ने रखा था जिसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। दोनों ही पक्षों ने केस दर्ज किया, मुस्लिम समुदाय की तरफ से हाशिम अंसारी और हिंदूओं की तरफ से महंत परमहंस रामचंद्र दास को पेरोकार बनाया गया।
  • 1950 राम जन्मभूमी न्यास के प्रमुख रामचंद्र दास और गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद में केस दर्ज करवाया जिसमें हिंदुओं को पूजा की अनुमति मांगी गई थी।
  • 1961 में सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने केस दर्ज कर दावा किया कि आसपास का इलाका कब्रस्तान है।
  • 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में एक ग्रुप बनाया गया।
  • 1986 में फैजाबाद कोर्ट ने दरवाजे खोलने की अनुमति दी और हिंदुओं को पूजा करने का मौका मिला।
  • 1989 में तात्कालीन पीएम राजीव गांधी ने विवादित स्थल के पास शिलान्यास की अनुमति दे दी।
  • 1990 में एलके आडवाणी ने रथ यात्रा शुरू की और उन्हें बड़ा समर्थन मिला। उन्हें समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया जिसके बाद भाजपा ने वीपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। नतीजतन हुए चुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की।
  • 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे को कार सेवकों ने गिरा दिया और अस्थायी मंदिर बना दिया। पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने हाईकोर्ट जाकर यथास्थिति बनाए रखने की मांग की।
  • 2003 में इलाहबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल की खुदाई कर पता लगाने के आदेश दिए की वहां मंदिर था या नहीं। पुरातत्व विभाग ने रिपोर्ट दी की मस्जिद के नीचे 10वीं सदी के एक मंदिर के अवशेष मिले।
  • 2010 में पहली बार फैसले को पलटते हुए अदालत ने कहा कि दोनो पक्ष आपस में इसे सुलझाएं।
  • 30 सितंबर 2010 को इलाहबाद हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए जमीन के तीन हिस्से कर दिए।
  • 2016 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर निर्माण को लेकर याचिका लगाई

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