भारत में जीवन प्रत्याशा में बढोत्तरी

- औसत आयु के मामले में वैश्विक स्थिति पर आई ताजा रिपोर्ट कुछ अच्छे संकेत लिए हुए है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्युएशन की अगुवाई में विभिन्न देशों के रिसर्चरों के एक समूह द्वारा की गई इस स्टडी के मुताबिक भारत में लोगों की औसत उम्र काफी बढ़ गई है।

- 1990 में जहां पुरुषों की औसत आयु 57.26 वर्ष थी वहीं 2013 में यह बढ़कर 64.16 हो गई। 23 वर्षों में हुई 6.9 वर्षों की इस बढ़ोतरी के मुकाबले महिलाओं की औसत आयु इसी अवधि में 10.9 वर्ष (58.34 से 68.64 साल) बढ़ गई है। 
- आस-पड़ोस के देशों में औसत आयु भारत से ज्यादा है। इसके वैश्विक आंकड़े भी हमारे मुकाबले बेहतर हैं। लेकिन वृद्धि की तीव्रता के हिसाब से हम संतोषजनक स्थिति में हैं। औसत आयु में वैश्विक वृद्धि इस अवधि में महिला और पुरुष दोनों में 6.2 साल दर्ज की गई है।

- इस रिपोर्ट से इतना तो स्पष्ट है कि अब लोग पहले के मुकाबले ज्यादा लंबा जीवन बिताते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह चिकित्सा के क्षेत्र में मिली कामयाबियां हैं। रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि पिछले दशक में मलेरिया और एचआईवी/एड्स से होने वाली मौतों में काफी गिरावट दर्ज की गई, जो औसत आयु को बढ़ाने वाला एक प्रमुख कारक बना। लेकिन इस स्टडी की सबसे खास बात यह है कि इसमें जीवन की क्वॉलिटी पर भी ध्यान दिया गया है।

- रिपोर्ट के मुताबिक लोगों की जिंदगी लंबी तो हुई है, लेकिन वे कई नई-पुरानी बीमारियों से परेशान रहने लगे हैं। रिपोर्ट में इसे हेल्दी लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी स्वस्थ औसत आयु कहा गया है, और भारत के मामले में इसमें दर्ज की गई बढ़ोतरी चिंताजनक स्तर तक कम है। इसका साफ मतलब यह है कि लोगों को अपनी जिंदगी का अच्छा-खासा हिस्सा बीमार रहकर गुजारना पड़ता है।

- आधुनिक जीवन शैली और खानपान की मजबूरियों के चलते बहुत कम उम्र से ही लोगों को हाई बीपी, डाइबिटीज, डिप्रेशन और गठिया जैसी बीमारियां होने लगी हैं, जो पहले बुढ़ापे की बीमारियां मानी जाती थीं। यानी अब मेडिकल साइंस और चिकित्सा ढांचे की चुनौतियां बदल रही हैं। जीवन सुरक्षा के साथ ही स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करने को भी उन्हें अब अपने अजेंडे पर रखना होगा।

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