शिक्षा की दुर्गति

Context: Teacher & Absenteeism

  • पटना जिले की यह तस्वीर पूरे राज्य के स्कूलों की व्यवस्था की बानगी है कि यहां 75 स्कूलों के आकस्मिक निरीक्षण में 225 शिक्षक अनुपस्थित पाए गए।
  • खुद डीएम जिस कन्या विद्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे, वहां 30 में से 28 शिक्षक अनुपस्थित थे। अनुपस्थित का आशय है कि शिक्षक बिना अवकाश लिए गायब थे।
  • डीएम ने इन शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटने का निर्देश दिया है। यह दंड भी समझ से परे है। जिस दिन शिक्षक ड्यूटी से गायब थे, उस दिन का वेतन तो कटना ही चाहिए था। इसमें दंड क्या? सवाल यह है कि बिना छुट्टी स्वीकृत कराए गायब रहने के लिए उन पर क्या कार्रवाई हुई?

Disciplinary action?

इन स्कूलों के प्रधानाचार्यो और अनुपस्थित पाए गए शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। क्या ऐसे अनुशासनहीन शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है? शिक्षकों के इस रवैये ने राज्य की शिक्षा प्रणाली ध्वस्त कर दी है। शिक्षा और परीक्षा की बदहाली को लेकर पिछले दो साल से बिहार की बदनामी पूरे देश में हो रही है। इसके बावजूद शिक्षकों को अपना कर्तव्य याद नहीं रहता। How far administration responsible?

शिक्षकों की इस बेपरवाही की मुख्य वजह उनकी अनुशासनहीनता के प्रति शासन-प्रशासन का बेहद नरम रवैया है। सबको याद है कि इस साल शिक्षकों ने अपनी वेतन बढ़ोतरी के लिए बोर्ड परीक्षा उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार किया था। इसके चलते सरकार को जटिल परिस्थिति में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करवाना पड़ा था। इसका प्रभाव रिजल्ट में तमाम विसंगतियों के रूप में सामने आया। उस वक्त भी शिक्षकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई

Need of strong action

अपनी सुविधाओं के लिए आंदोलन करने वाले शिक्षक कक्षाओं में पढ़ाने का अपना मूल कार्य नहीं करते, इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है। सरकार शिक्षकों के प्रति गैरजरूरी नरमी का परित्याग करे और जो शिक्षक समझाने-बुझाने के बाद भी अपना दायित्व नहीं समझ रहे, उनके प्रति कठोर कार्रवाई की जाए। एक दिन का वेतन कटने से किसी शिक्षक की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ऐसा ‘दंड’ उनके लिए नितांत सुविधाजनक है। शासन को देखना चाहिए कि अनुशासनहीन शिक्षकों पर किन प्रावधानों के तहत कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। यदि ऐसे प्रावधान नहीं हैं तो नियमावली में संशोधन किया जाना चाहिए

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