- 2,000 करोड़ रुपये : गंगा नदी को साफ करने के लिए 1986-2014 तक विभिन्न सरकारों द्वारा खर्च की गई धनराशि।
- 2,100 करोड़ रुपये : नमामि गंगे प्रोजेक्ट के लिए केंद्रीय सहायता
20,000 करोड़ रुपये : 2020 तक गंगा को साफ करने के लिए खर्च की जाने वाली धनराशि।
74,000 करोड़ रुपये : आइआइटी कंर्सोटियम के मुताबिक गंगा को साफ करने के लिए धनराशि की जरूरत।
सीवेज के लिए आधारभूत ढांचा: सभी 118 शहरों के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
* 50 शहरों में चलाई जा रही हैं परियोजनाएं
* बाकी 68 शहरों के लिए जून 2016 तक किया जाएगा आवंटन
* सभी 144 नालों की टैपिंग (बिना ट्रीट किए गए पानी को नदी में जाने से रोकना) : 65 की टैपिंग पहले ही की जा चुकी है।
* प्रमुख औद्योगिक क्लस्टर्स में सेट्रल एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण और दीर्घकालिक कार्यशीलता बरकरार रखना
* चार धाम और गंगा सागर यात्रा के दौरान जन सुविधाओं का प्रावधान
* केदारनाथ, हरिद्वार, इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर व पटना जैसे 7 शहरों में नदी तट प्रबंधन
* 1657 ग्राम पंचायतों को स्वच्छता अभियान के अंतर्गत 100 फीसद शामिल करना
* गंगा टास्क फोर्स के लिए 4000 कर्मचारियों के दल का गठन
* घाटों की रक्षा के लिए सेवानिवृत्त लोगों की तैनाती
* शहरी स्थानीय इकाइयों की मदद से कूड़ा उठाने वालों के दल का गठन
* जल जीवों का संरक्षण: खासतौर पर डॉल्फिन, घड़ियाल और कछुओं का संरक्षण
=>स्थिति :-
गंगा को स्वच्छ बनाने की योजना काफी धीमी गति से चल रही है। दरअसल मंत्रालय को अब तक यही स्पष्ट नहीं है कि आखिर इस दिशा में वास्तव में किया क्या जाना चाहिए। इस कार्य में विभिन्न विभागों और एजेंसियों को शामिल किया जाना है जिसकी वजह से यह प्रक्रिया सुस्त हो गई है। इस संदर्भ में 20 हजार करोड़ रुपये का फंड मंजूर होने के बावजूद अधिकारियों का कहना है कि अगले कुछ महीने में ही काम शुरू हो पाएगा। गंगा को साफ करने और नदियों को जोड़ने की योजना पर ही मंत्रालय का सारा ध्यान है, जिसकी वजह से अन्य कई योजनाएं अटकी पड़ी हैं। बाढ़ की चेतावनी देने के लिए अर्ली वॉर्निग सिस्टम लगाने की दिशा में अब तक खास काम नहीं हो सका है। जलवायु परिवर्तन पर बने नेशनल प्लान के अंतर्गत वॉटर मिशन पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।