खाद्य उत्पादों में कीटनाशकों का खतरनाक स्तर

- हमारे खाने में जहर है- यह कोई मुहावरा नहीं, हकीकत है। अर्से से स्वास्थ्य विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता कहते आ रहे हैं कि कीटनाशकों के अनियंत्रित इस्तेमाल के कारण खाद्य पदार्थ दूषित हो गए हैं। सरकार यह कहकर पल्ले झाड़ती रही कि उसकी एजेंसियां कीटनाशकों के नियंत्रण में लगी हुई हैं।

- कृषि मंत्रालय द्वारा विभिन्न खुदरा एवं थोक दुकानों से इकट्ठा सब्जियों, फलों, दूध और अन्य खाद्य उत्पादों के नमूनों में ऐसे कीटनाशकों के अंश पाए गए हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं। यहां तक कि ऑर्गेनिक उत्पादों की बिक्री करने वाली दुकानों से इकट्ठा किए गए उत्पादों में भी कीटनाशकों के अंश पाए गए हैं।

- गौरतलब है कि 2005 में शुरू हुई केंद्रीय कीटनाशक अवशिष्ट निगरानी योजना (मॉनिटरिंग ऑफ पेस्टिसाइड रेजिड्यूज) के तहत वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान देश भर से इकट्ठा किए गए 20,618 नमूनों में हर आठ में से एक को प्रतिबंधित कीटनाशकों से युक्त पाया गया। नमूनों की जांच 25 प्रयोगशालाओं में की गई।

- कहने को कीटनाशकों के नियंत्रण के लिए देश में तीन बड़ी संस्थाएं हैं- सेंट्रल इंसेक्टिसाइड्स बोर्ड एंड रजिस्ट्रेशन कमिटी, फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया और एग्रीकल्चरल एंड प्रॉसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डिवेलपमेंट अथॉरिटी। ये तीनों क्रमश: कृषि, स्वास्थ्य और वाणिज्य मंत्रालयों के तहत काम करती हैं। लेकिन इनमें कोई आपसी तालमेल नहीं है।
- नतीजा यह है कि प्रतिबंधित कीटनाशक भी बाजार में खुलेआम बिक रहे हैं। इन्हें बेचने के लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया भी सख्त नहीं है। सरकार अभी तक कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2008 को पारित नहीं करवा पाई है।

- दरअसल उसकी प्राथमिकता अधिक पैदावार हासिल करना और हर किसी को खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। ऐसे में कीटनाशकों के नियंत्रण का मामला पीछे छूटता जाता है। जबकि पिछले कुछ वर्षों से अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगठन इस मामले में लगातार चेतावनी दे रहे हैं।

- विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में इस बात पर चिंता प्रकट की गई कि जहां एशिया के प्रमुख देशों में मोनोक्रोटोफॉस कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर दिया गया है, वहीं भारत में इनका उत्पादन, इस्तेमाल और दूसरे देशों को निर्यात अब भी जारी है।

- गौरतलब है कि कुछ समय पहले बिहार में एक स्कूल के मिड-डे मील में मोनोक्रोटोफॉस मिला हुआ पाया गया था, जिससे 20 बच्चे मर गए थे। शोधों से पता चला है कि कीटनाशकों के इस्तेमाल से देश में कैंसर के अलावा किडनी और लीवर फेल होने के मामले बढ़ रहे हैं। इनकी वजह से कई जगहों पर भू-जल बेहद जहरीला हो गया है।

- सरकार को कीटनाशकों के मामले पर सख्ती दिखानी होगी। इसके लिए कठोर नियम बनाने के अलावा खेती के ऐसे तरीकों को बढ़ावा देना होगा, जो सेहत और पर्यावरण दोनों के लिए अनुकूल हों।

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