प्रख्यात पर्यावरणविद और गांधीवादी अनुपम मिश्र (68 वर्ष) का निधन हो गया है। उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अंतिम सांस ली. अनुमप मिश्र लगभग एक साल से कैंसर की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे.
- अनुपम मिश्र गांधी शांति प्रतिष्ठान के ट्रस्टी थे इसके अलावा उन्होंने भाषा और पर्यावरण के लिए खूब काम किया. उनका कोई घर नहीं है वह गांधी शांति फाउंडेशन में ही रहे उनके पिता भवानी प्रसाद मिश्र कवि थे.
- मिश्र को उनके काम के लिए कई पुरस्कार भी मिले थे जिनमें गांधी राष्ट्रीय पर्यावरण पुरस्कार, जमना लाल बजाज पुरस्कार समेत कई ऐसे पुरस्कार थे जिनसे उन्हें नवाज गया था.
उनकी कई किताबें भी खूब प्रचलित हैं जिनमें जल संरक्षण पर लिखी गई उनकी किताब 'आज भी खरे हैं तालाब'. इस किताब का कई भाषाओं में अनुवाद हुआ इसे लोगों ने खूब पढ़ा और इसकी लाखों कॉपियां बिकी उनकी अन्य चर्चित किताबों में 'राजस्थान की रजत बूंदें' और 'हमारा पर्यावरण' है. '
हमारा पर्यावरण' देश में पर्यावरण पर लिखी गई एकमात्र किताब है. अनुपम मिश्र कई कारणों से याद आयेंगे लेकिन पर्वारण की दिशा में उनका काम मिल का पत्थर है. वो पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने देश में पर्यावरण पर काम शुरू किया था जिस वक्त उन्होंने काम शुरू किया था उस वक्त सरकार का पर्यावरण की तरफ ध्यान नहीं था औऱ ना ही इसका कोई विभाग बना था.