- खेल विभाग ने एनएसएफ (National sports federations) को 30 नवंबर, 2016 तक 2020 के टोक्यो ओलम्पिक खेलों के लिए पदक हासिल कर पाने वाले खिलाडि़यों और उनके सहयोगी स्टाफ की पहचान करने की सलाह दी है। इससे महत्वपूर्ण संभावित खिलाड़ी को समर्पित विश्व स्तरीय सहयोगी स्टाफ उपलब्ध कराना सुनिश्चित होगा ताकि, सुसंगत टीम के रूप में कार्य कर वांछित परिणाम हासिल किए जा सके।
- एनएसएफ को आवश्यक वित्तीय सहायता टारगेट ओलम्पिक पोडियम योजना (टीओपीएस) के अंतर्गत राष्ट्रीय खेल विकास कोष (एनएसडीएफ) से प्राप्त होगी ।
- NSFs ओलंपिक पदक जीत सकनें वाले संभावित खिलाडियों व सहयोगी स्टाफ का चयन ,उनके पिछले 6 माह के प्रदर्शन की समीक्षा के आधार पर करेगा - NSFs चयन व समीक्षा प्रक्रिया अधिक पारदर्शी रखेगा तथा विस्तृत विवरण वेबसाइट पर जारी करेगा ।
- इससे खिलाडियों को विदेशी व देशी विशेषज्ञ कोचो से प्रशिक्षण प्राप्त हो सकेगा तथा खेलो में अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाया जा सकेगा । -
- इससे खिलाडियों को टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने के लिए अधिक लक्षित किया जा सकेगा ।
**** पिछले कुछ समय में ओलंपिक खेलो में प्रदर्शन सुधारने हेतु किए गये सरकारी प्रयास-: -
- 2020 टोक्यो ओलंपिक में 50 पदक जीतने की संभावना खोजने हेतु कार्य बल (Task force) का गठन।
- नीति आयोग ने ओलंपिक प्रदर्शन सुधारने हेतु 20 सूत्री कार्य योजना पेश की ,जिसमें मुख्यतः 10 खेलो पर फोकस करने , राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक को कानूनी रूप देने, अल्पावधि,मध्यावधि,व दीर्घावधि लक्ष्य निर्धारण करने ,युवा खेल बीमा योजना बनाने ,प्रत्येक राज्य में कम से कम एक विश्व स्तरीय प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने, तथा नियमित अंतराल पर खिलाडियों,खेल संस्थाओं व प्रशिक्षकों के प्रदर्शन की समीक्षा करने की बात कही गई है।
निष्कर्ष (conclusion):- रियो-ओलम्पिक में पी.वी.सिंधु व साक्षी मलिक के अतुलनीय प्रदर्शन ने विश्व में सबसे अधिक युवा आबादी वाले देश की जन-आकांक्षाओं को जिंदा रखने में अविस्मरणीय योगदान दिया है।
- ओलम्पिक में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन ने सरकारी नीतियों की पंगुता व आमजन तथा कॉरपोरेट जगत की खेलों के प्रति बेरुखी को जाहिर किया है।
- बाधक तत्व : विद्यालय ,महाविद्यालय व विश्वविद्यालय स्तर पर खेलों के आयोजनों तथा प्रशिक्षण की कमी, ब्लॉक पंचायत व जिला स्तर पर एकीकृत खेल परिसरों का अभाव, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर आधुनिक खेल उपकरणों,ढांचे व वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित प्रशिक्षण का अभाव , नैसर्गिक क्षमताओं से ओतप्रोत गांव-ढाणी की प्रतिभाओं को आगे बढाने वाली योजनाओं का अभाव , ओलम्पिक ,एशियाई,व राष्ट्रमंडल खेलों में खेलने वाले खिलाडियों व पदक विजेताओं के लिए नाकाफी प्रोत्साहन राशि , भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप खेल चयन का अभाव , खेलों के महत्व को रेखाकिंत करने वाले पाठ्यक्रम का अभाव, तथा खेलों को केरियर विकल्प व जीवन के अभिन्न अंग के रूप में स्थापित करने वाली जन चेतना की अनुपलब्धता आदि भारत में खेलों के विकास में बाधक तत्व है।
What to be done: जरूरत है सरकार खेलों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास व खिलाङियों के प्रोत्साहन हेतु अधिक फंड आवंटित करे , पी.वी.सिंधु,सायना नेहवाल,अभिनव बिंद्रा ,साक्षी मलिक,तथा दीपा कर्माकर जैसे खिलाङियों को युवाओं के मध्य रोल मॉडल के रूप प्रचारित करे, तथा नई खेल नीति बनाकर गांव-ढाणी तक के युवाओं की खेलों में भागीदारी सुनिश्चित करे ताकि टोक्यो ओलम्पिक में भारत का प्रदर्शन बेहतर किया जा सके ।
साभार : विशनाराम माली