- डीआरडीओ ने सस्ता कॉकलीयर इंप्लांट विकसित किया है।
- कॉकलीयर इंप्लांट महंगे होने के कारण आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चे अब मूक-बधिर नहीं रहेंगे।
- डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन) द्वारा विकसित सस्ते स्वदेशी कॉकलीयर इंप्लांट मूक-बधिर बच्चों को आवाज देंगे।
- देश में 70 से 80 लाख बच्चे बहरेपन से पीड़ित हैं। कॉकलीयर इंप्लांट ऐसे बच्चों के लिए उम्मीद की किरण होते हैं। हालांकि इसकी कीमत पांच से सात लाख रुपये है। इस वजह से यह प्रत्यारोपण कराना आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों के लिए संभव नहीं होता।
- इसकी कीमत डेढ़ से दो लाख रुपये होगी। इस कारण इसे ज्यादा से ज्यादा बच्चों को प्रत्यारोपित किया जा सकेगा। डॉक्टरों के मुताबिक सुनाई नहीं पड़ने के कारण बोल पाने में असमर्थ बच्चों की तीन साल की उम्र तक कॉकलीयर प्रत्यारोपण करने पर परिणाम बेहतर रहता है और बच्चे ज्यादा अच्छे तरीके से बोल पाते हैं।
- डीजीसीआइ (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) से इसके ट्रायल की स्वीकृति मिल गई है जो जल्द शुरू किया जाएगा।