ऐसे समय जब देश के करीब 13 राज्य सूखे की चपेट में हैं, भारतीय वैज्ञानिकों की नई खोज देश के लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आई है। वैज्ञानिकों ने ऐसा तरीका खोज निकाला है जिसके जरिये समुद्र के पानी को पीने लायक बनाया जा सकेगा। इसके तहत फिलहाल एक दिन में 6.3 मिलियन लीटर पानी तैयार किया जा सकता है।
- वैज्ञानिकों ने ऐसा शोधन तरीका (फिल्टरेशन मेथर्ड) भी विकसित किया है जिससे आर्सेनिक और यूरेनियम युक्त पानी को भी पीने योग्य बनाया जा सकेगा।
=>बार्क के वैज्ञानिकों की बड़ी कामयाबी :-
★ भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बार्क ) के वैज्ञानिकों ने तमिलनाडु के कलपक्कम के पायलट प्लांट को तैयार किया है। इसमें समुद्र के पानी को शुद्ध करने के लिए अपशिष्ट भाप (वेस्ट स्टीम) का उपयोग किया जाता है।
★इसकी क्षमता रोजाना 6.3 मिलियन लीटर पानी के शोधन की है।
† शुद्ध किए गए पानी का स्वाद बिल्कुल ताजा पानी जैसा है। इसके समुद्र के पानी जैसा खारापन जरा भी नहीं है।
‡ यूरेनियम-आर्सेनिक युक्त पानी भी बेहद कम लागत में पीने लायक बनाया :-
- भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई के अनुसार ऐसे कई प्लांट पंजाब के अलावा पश्चिम बंगाल में भी स्थापित किए गए हैं।
★इसके साथ ही बार्क ने ऐसी झिल्लियां भी विकसित की हैं, जिनके जरिये बेहद कम लागत पर यूरेनियम अथवा आर्सेनिक से दूषित पानी को शुद्ध कर पीने लायक बनाया जा सकता है।
★गौरतलब है कि बार्क के हाल ही के दौरे में प्रधानमंत्री ने उस साइकिल को चलाकर देखा था जिसमें वाटर प्यूरीफायर को लगाया गया है। पैडलिंग के उत्पन्न होने वाली ऊर्जा की मदद से यह साइकिल यह दूषित पाने को पीने योग्य बनाती है।
★ परमाणु वैज्ञानिकों ने घर में संचालित किए जान सकने वाले ऐसे वारट प्यूरीफायर भी तैयार किए है, इन वाटर प्यूरीफायर्स की सूखे से बुरी तरह प्रभावित मराठवाड़ा में मार्केटिंग की जा रही है।