- विश्व आर्थिक मंच की की ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2016 के अनुसार, आइसलैंड, फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन में लैंगिक समानता बराबर हैं।
- भारत में ऐसा नहीं है और इस सूची में वह 87 वें स्थान पर है। केन्या, बांग्लादेश और ब्राजील जैसे देशों ने भारत को पीछे छोड़ दिया है।
- मगर, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट आबादी वाला देश है, जहां डिजिटल लैंगिक अंतर कम हो रहा है।
- मोबाइल उद्योग व्यापार समूह जीएसएमए द्वारा साल 2015 में किए गए एक अध्ययन में पता चला कि निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में करीब 2.6 अरब मोबाइल फोन के यूजर्स हैं। इनमें से करीब 1.4 अरब पुरुष औप 1.2 अरब महिलाएं हैं।
- भारत में पुरुषों की तुलना में 11.4 करोड़ कम महिलाएं स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रही हैं। जीएसएमए के अध्ययन में बताया गया कि यदि महिलाओं को टेक्नोलॉजी की पहुंच मिल जाती है, तो न सिर्फ वह अधिक स्वतंत्र महसूस करती हैं, बल्कि रोजगार भी बढ़ा सकती हैं। वह अगले पांच साल में मोबाइल उद्योग के लिए एक अनुमान के अनुसार 170 अरब डॉलर के बाजार को खोल सकती हैं।
- शायद यही कारण है कि गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी तकनीक दिग्गजों भारत की डिजिटल परिवर्तन पर भारी ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
=>गूगल का इंटरनेट साथी
करीब दो साल पहले गूगल इंडिया ने टाटा ट्रस्ट के साथ मिलकर "इंटरनेट साथी" नामक एक डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम शुरू किया था। कार्यक्रम के तहत ग्रामीण भारत में महिलाओं को यह सिखाया गया कि कैसे इंटरनेट उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को फायदा पहुंचा सकता है।
महिलाओं के प्रशिक्षित होने के बाद उन्होंने आस-पास के क्षेत्र में अन्य ग्रामीणों को प्रशिक्षित किया। टाटा ट्रस्ट ने कार्यक्रम का कार्यान्वयन किया, जबकि गूगल ने इंटरनेट सक्षम उपकरणों और अपेक्षित प्रशिक्षण सामग्री मुहैया कराई।
20 लाख महिलाओं हुआ लाभ
यह कार्यक्रम अब भी दस भारतीय राज्यों के 60,000 गांवों में चल रहा है। गूगल का कहना है कि 20 लाख महिलाओं को कार्यक्रम से लाभ हुआ है। कंपनी अगले कुछ वर्षों में तीन लाख गांवों में कार्यक्रम का विस्तार करना चाहती है, जिससे अगले पांच साल में ग्रामीण भारत के 50 प्रतिशत लोगों को शामिल किया जा सके।