- दक्षिण अमेरिका में स्थित फ्रेंच गुयाना से गुरुवार को देश का सबसे बड़ा संचार उपग्रह जीसैट-18 छोड़ा गया।
- शक्तिशाली रॉकेट से अंतरिक्ष में छोड़ा गया 3,404 किलोग्राम वजन का यह उपग्रह देश में टेलीविजन, मोबाइल फोन सेवाओं और सूचनाओं के आदान-प्रदान की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक साबित होगा।
- खराब मौसम के चलते एक दिन विलंब से छोड़े गए इस उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए यूरोपीय लांचर का इस्तेमाल किया गया। करीब 32 मिनट के बाद उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर दिया गया
- उपग्रह का नियंत्रण कर्नाटक के हासन में स्थित मास्टर कंट्रोल सेंटर से जुड़ गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार उपग्रह अच्छे तरीके से कार्य कर रहा है और उससे भेजे जा रहे सिग्नल कंट्रोल रूम को ठीक से मिल रहे हैं।
- उपग्रह धरती से 35,888 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपनी कक्षा में घूम रहा है।
- जीसैट-18 से इसरो के उन 14 संचार उपग्रहों को ताकत मिलेगी जिनसे भारतीय संचार सुविधाएं चलती हैं। नया उपग्रह 15 साल तक भारतीय संचार व्यवस्था को ताकत देने का कार्य करेगा।
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- इसरो के अनुसार जीसैट-18 से हमारी महत्वपूर्ण संचार सेवाओं को गति मिलेगी। यह हमारे पुराने हो चुके संचार उपग्रहों पर पड़ रहे बोझ को भी कम करेगा। इसरो ने उपग्रह का प्रक्षेपण मिशन कंट्रोल सेंटर से देखा।
- जीसैट-18 यूरोपीय स्पेस एजेंसी द्वारा लांच किया गया 20 वां इसरो का उपग्रह है। भारी उपग्रहों को छोड़ने के लिए इसरो को एरियन-5 किस्म के शक्तिशाली रॉकेट पर निर्भर रहना पड़ता है, जिसके प्रक्षेपण की सुविधा यूरोपीय यूनियन, अमेरिका और रूस के पास है।
इसरो ने संचार सुविधाओं के दृष्टिगत दो महत्वपूर्ण उपग्रह जीसैट-17 और जीसैट-11 अगले साल छोड़ेगा। उल्लेखनीय है कि इसरो देश में विभिन्न प्रकार की सुविधाओं के लिए 35 साल से उपग्रह छोड़ रहा है। सबसे पहला उपग्रह एरियन 1 सन 1981 में छोड़ा गया था।