इसरो ने देश के सबसे ताकतवर और अब तक के सबसे भारी उपग्रह प्रक्षेपण रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 को लांच कर दिया है। जीएसएलवी मार्क-3 को श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया गया।
Ø यह ऐतिहासिक प्रक्षेपण चार टन श्रेणी के उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की दिशा में भारत के लिए नए अवसर खुल गए हैं।
Ø वैज्ञानिक इस लॉन्चिंग को स्पेस टेक्नोलॉजी में बड़े बदलाव लाने वाले मिशन के तौर पर देख रहे हैं। ये विमान पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकी पर आधारित है
Ø यह प्रक्षेपण बड़ा मील का पत्थर है क्योंकि इसरो प्रक्षेपण उपग्रह की क्षमता 2.2-2.3 टन से करीब दोगुना करके 3.5-04 टन कर रहा है। आज अगर भारत को 2.3 टन से अधिक के संचार उपग्रह का प्रक्षेपण करना हो तो हमें विदेश जाना पड़ता था। पर जीएसएलवी मार्क-3 की सफलता से हमनें खुद की क्षमता विकसित कर ली।
Ø जीएसएलवी मार्क-3 के कामकाज शुरू करने के बाद हम संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण में आत्मनिर्भर हो जाएंगे और हमें विदेशी ग्राहकों को लुभाने में भी सफल होंगे
Ø यह भविष्य में इसरो का मजबूत प्रक्षेपण यान होने वाला है। इस अभियान के सफल होने से चार टन वजनी उपग्रहों का प्रक्षेपण करने वाले देशों की कतार में भारत भी शामिल हो गया। इस सफलता से हम विदेशी उपभोक्ताओं को आकर्षित करने में सफल होंगे।
=>साकार होगी अंतरिक्ष में मानव भेजने की योजना
Ø यह रॉकेट भविष्य में भारतीयों को अंतरिक्ष में ले जाने वाला यान साबित होगा। उल्लेखनीय है कि इसरो अंतरिक्ष में मानव भेजने की योजना पहले ही तैयार कर चुका है। यदि सरकार उसे तीन से चार अरब डॉलर तक राशि की मंजूरी देती है तो वह अंतरिक्ष में दो-तीन सदस्यीय चालक दल को भेजेगा।
Ø यदि यह योजना साकार होती है तो भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा ऐसा देश होगा जिसका एक मानवीय अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम भी होगा।
=>भारत के लिए क्यों अहम है यह प्रयोग
तेजी से बदलते साइबर सुरक्षा के माहौल में भारत को तुरंत पूरी तरह से नई इंटरनेट सुविधा की आवश्यकता है। संचार क्रांति के इस दौर में देश ऑप्टिकल फाइबर, कॉपर आधारित टेलीफोन और मोबाइल सेलुलर सेवाओं पर ही निर्भर नहीं रह सकता। मौजूदा समय में उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवा संचार का एक मजबूत और सुरक्षित रूप है।
=>जीएसएलवी मार्क-3 की खासियत
- इसरो द्वारा विकसित किया गया यह अत्याधुनिक उपग्रह प्रक्षेपण रॉकेट है।
- इसकी वहनीय क्षमता मौजूदा जीएसएलवी मार्क-2 की दो टन की क्षमता से दोगुना है।
- यह दो ठोस, एक द्रव नोदक कोर और एक क्रायोजेनिक चरण वाला तीन चरणों का रॉकेट है।
- इसका वजन पांच पूरी तरह से भरे बोइंग जम्बो विमान या 200 हाथियों के बराबर है।
- यह भविष्य का स्वदेशी रॉकेट है जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में ले जाएगा।
=>जीसैट-19 की खूबियां
- अकेला जीसैट-19 पुराने किस्म के 6-7 संचार उपग्रहों के बराबर काम करेगा।
- जीसैट-19 का वजन तीन टन से अधिक है जो किसी हाथी के बराबर है।
- भारत में बना और प्रक्षेपित होने वाला अब तक का सबसे भारी उपग्रह है।
- आयतन के हिसाब से भारत में बना यह सबसे बड़ा उपग्रह है।
- पहली बार इसमें स्वदेशी लीथियम आयन बैटरियों का इस्तेमाल किया गया है।
- पहली बार नए तरीके की मल्टीपल फ्रीक्वेंसी बीम का भी प्रयोग हुआ है।
- इससे इंटरनेट की गति और कनेक्टिविटी दोनों बढ़ जाएगी।
- हीट पाइप, फाइबर ऑप्टिक जायरो, माइक्रो-मैकेनिकल सिस्टम्स एक्सीलेरोमीटर से लैस है।