भारत ने ओडिशा के बालासोर तट से अपनी इंटरसेप्टर मिसाइल का सफलतापूर्वक प्रायोगिक परीक्षण किया और द्विस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने की दिशा में एक अहम उपलब्धि हासिल की.
- इस इंटरसेप्टर को आईटीआर के अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप) से प्रक्षेपित किया गया.
- ‘पीडीवी नामक यह अभियान पृथ्वी के वायुमंडल से 50 किमी उपर बाहरी वायुमंडल में स्थित लक्ष्यों के लिए है.’’
- ‘‘पीडीवी इंटरसेप्टर और दो चरणों वाली लक्ष्य मिसाइल :- लक्ष्य को दरअसल 2000 किमी से अधिक दूरी से आती शत्रु बैलिस्टिक मिसाइल के तौर पर विकसित किया.
=>कैसे कार्य करती है यह तकनीक :-
- एक स्वचालित अभियान के तहत रडार आधारित प्रणाली ने शत्रु की बैलिस्टिक मिसाइल की पहचान कर ली
- रडार से मिले आंकड़ों की मदद से कंप्यूटर नेटवर्क ने आ रही बैलिस्टिक मिसाइल का मार्ग पता लगा लिया. पीडीवी को पूरी तरह तैयार रखा गया था.
- कंप्यूटर सिस्टम से जरूरी निर्देश मिलते ही इसे छोड़ दिया गया. यह अहम दिशासूचक प्रणालियों की मदद से अवरोधन बिंदू तक पहुंच गई. सभी कार्यों का निरीक्षण विभिन्न स्थानों पर स्थित टेलीमीट्री रेंज स्टेशनों ने तत्काल आधार पर किया।
- यह मिसाइल ऑटोमेटिड ऑपरेशन, रडार आधारित और ट्रैकिंग सिस्टम आदि तकनीक से लैस है, जो कंप्यूटर नेटवर्क की मदद से डेटा की गणना कर बलेस्टिक मिसाइल हमले का पता लगाकर उस पर जवाबी हमला करने में सक्षम है।
- पीडीवी वह तकनीक है, जिसमें मिसाइल को जवाबी हमले के लिए तैयार रखा जाता है, कंप्यूटर से जरूरी कमांड मिलते ही यह मिसाइल जवाबी हमले के लिए निकलने को तैयार रहती है।
- जैसे ही यह मिसाइल धरती के वातावरण से बाहर निकलती है इसकी हीट शील्ड इससे अलग हो जाती है और यह अपने लक्ष्य साध कर हमले करने को तैयार हो जाती है।
- दुनिया में सिर्फ छः देशों के पास ही यह ताकत है।