इसरो की कामयाबी

हाल ही की खबरों में

  • इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से पोलर सैटेलाइट लांच वीकल की सहायता से सत्रह विदेशी उपग्रहों सहित कुल बीस उपग्रह एक साथ प्रक्षेपित कर बड़ी कामयाबी हासिल की है।
  • इस बार बीस उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित करके इसरो ने नया रिकार्ड बनाया।
  • इन उपग्रहों में अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया के अलावा भारतीय विश्वविद्यालयों के दो उपग्रह भी शामिल हैं।
  • इसरो ने इससे पहले 2008 में दस उपग्रहों को पृथ्वी की विभिन्न कक्षाओं में एक साथ प्रक्षेपित किया था।

इसरो की कामयाबिया :

  • भारत की पहली बड़ी सफलता थी 1975 में उपग्रह आर्यभट्ट का अंतरिक्ष में भेजा जाना
  •  फिर उसके बाद 1984 में स्क्वॉड्रन लीडर राकेश शर्मा बने अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय।
  • मंगलयान और चंद्रयान-एक की बड़ी सफलता
  • इनसेट प्रणाली की क्षमता को जीसैट द्वारा मजबूत बनाया जा रहा है, जिससे दूरस्थ शिक्षा, दूरस्थ चिकित्सा ही नहीं बल्कि ग्राम संसाधन केंद्र को उन्नत बनाया जा सके।
  • कोर्टोसैट-2 शृंखला के उपग्रह का  सफल प्रक्षेपण: इससे भारत में किसी भी जगह को अंतरिक्ष से देखने की क्षमता भी हासिल होगी। इस उपग्रह के जरिए भारत यह सही-सही जान पाएगा कि यहां पर किस तरह के और कितने जंगल हैं।
  • कोर्टोसैट से  भूकम्प, तूफान और दूसरी आपदा में इससे मदद मिलेगी। जंगल में लगी आग को बुझाना आसान होगा। सुरक्षा एजेंसियों को भी सीमा पर नजर रखने में मदद मिलेगी। घुसपैठ पर होगी पैनी नजर। वीवीआइपी सुरक्षा और पुख्ता हो सकेगी, आतंकियों और अपराधियों पर निगरानी और कड़ी हो सकेगी। शहरी योजना व डिजाइनिंग में मदद मिलेगी। साथ ही अंतरिक्ष से वीडियो कंट्रोल सेंटर भेजना आसान।
  • कम बजट में उपग्रह प्रक्षेपण : कम संसाधनों और कम बजट के बावजूद भारत आज अंतरिक्ष में कीर्तिमान स्थापित करने में लगा हुआ है। भारतीय प्रक्षेपण रॉकेटों की विकास लागत ऐसे ही विदेशी प्रक्षेपण रॉकेटों की विकास लागत के एक तिहाई भर है।
  • भारत इस साल सात देशों के पच्चीस उपग्रहों को प्रक्षेपित करने वाला है जिनमें सबसे ज्यादा अमेरिका के बारह उपग्रह शामिल हैं। जबकि भारत ने अभी तक पीएसएलवी के जरिये इक्कीस देशों के सत्तावन विदेशी उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया है।
  • एक समय ऐसा भी था जब अमेरिका ने भारत के उपग्रहों को प्रक्षेपित करने से मना कर दिया था। आज स्थिति यह है कि अमेरिका सहित तमाम देश भारत के साथ व्यावसायिक समझौते करने को इच्छुक हैं
  • भारत ने अपना पहला स्पेस आॅब्जर्वेटरी एस्ट्रोसैट पीएसएलवी-सी 30 का सफल प्रक्षेपण किया था। भारत से पहले अमेरिका, रूस और जापान ने ही स्पेस आॅब्जर्वेटरी लांच किया है।

इसरो को अंतरिक्ष अन्वेषण और शोध में ध्यान की जरुरत

इसरो व्यावसायिक सफलता के साथ-साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरह अंतरिक्ष अन्वेषण पर भी ज्यादा ध्यान दे। इसरो को अंतरिक्ष अन्वेषण और शोध के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी। क्योंकि जैसे-जैसे अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढेÞगी, अंतरिक्ष अन्वेषण बेहद महत्त्वपूर्ण होता जाएगा।

भविष्य में अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धा बढेÞगी। भारत के पास कुछ बढ़त पहले से है, इसमें और प्रगति करके इसका बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक उपयोग संभव है

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