इसरो ने एक बार फिर इतिहास रच दिया. इसरो ने पीएसएलवी सी-35 के ज़रिए दो अलग-अलग कक्षाओं में सफलतापूर्वक आठ सैटेलाइट स्थापित कर दिए.
=>●आइए जानते हैं इसरो की इस बड़ी सफलता से जुड़े 10 जरूरी तथ्य:-
1.दो घंटे से अधिक के इस अभियान को पीएसएलवी का सबसे लंबा अभियान माना जा रहा है। यह पहली बार है, जब पीएसएलवी अपने पेलोड दो अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित कर रहा है.
2. महासागर और मौसम के अध्ययन के लिए तैयार किये गये स्कैटसैट-1 (एससीएटीएएटी-1) और सात अन्य उपग्रहों को लेकर पीएसएलवी सी-35 ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी.
3. स्कैटसैट-1 से इतर सात उपग्रहों में अमेरिका और कनाडा के उपग्रह भी शामिल हैं. इसरो का 44.4 मीटर लंबा पीएसएलवी रॉकेट दो भारतीय विश्वविद्यालयों के उपग्रह भी साथ लेकर गया था. इसके अलावा तीन उपग्रह अल्जीरिया के हैं और एक-एक उपग्रह अमेरिका और कनाडा का है.
4. स्कैटसैट-1 एक प्रारंभिक उपग्रह है और इसे मौसम की भविष्यवाणी करने और चक्रवातों का पता लगाने के लिए है. इसरो ने कहा कि यह स्कैटसैट-1 द्वारा ले जाए गए कू-बैंड स्कैट्रोमीटर पेलोड के लिए एक ‘सतत’ अभियान है.
5. कू-बैंड स्कैट्रोमीटर ने वर्ष 2009 में ओशनसैट-2 उपग्रह द्वारा ले जाए गए एक ऐसे ही पेलोड की क्षमताएं पहले से बढ़ा दी हैं.
6. स्कैटसैट-1 के साथ जिन दो अकादमिक उपग्रहों को ले गया है, उनमें आईआईटी मुंबई का प्रथम और बेंगलूरू बीईएस विश्वविद्यालय एवं उसके संघ का पीआई सैट शामिल हैं. प्रथम का उद्देश्य कुल इलेक्ट्रॉन संख्या का आकलन करना है जबकि पीआई सैट अभियान रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों के लिए नैनोसेटेलाइट के डिजाइन एवं विकास के लिए है.
7. पीएसएलवी अपने साथ जिन विदेशी उपग्रहों को ले गया है, उनमें अल्जीरिया के- अलसैट-1बी, अलसैट-2बी और अलसैट-1एन, अमेरिका का पाथफाइंडर-1 और कनाडा का एनएलएस-19 शामिल हैं.
8. इसरो ने कहा कि पीएसएलवी सी-35 के साथ गए सभी आठ उपग्रहों का कुल वजन लगभग 675 किलोग्राम है. स्कैटसैट-1 का वजन 371 किलोग्राम है.
9. स्कैटसैट-1 को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश कराया गया. 371 किलोग्राम वजन के इस उपग्रह को ‘पोलर सन सिन्क्रोनस ऑर्बिट’ में प्रवेश कराया गया.
10. अन्य सात उपग्रहों को लगभग दो घंटे बाद एक निचली कक्षा में प्रवेश कराया जाना है. पोलर सन सिन्क्रोनस ऑर्बिट में उपग्रह हमेशा सूर्य की ओर उन्मुख रहता है.