मनुष्य द्वारा पहली बार सबसे करीबी तारे अल्फा सेंटूरी पर भेजा जायेगा अंतरिक्ष यान

इंसान ने एक बार फिर अंतरिक्ष में एक लंबी छलांग लगाने का फैसला किया है। जाने-माने वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग, रूसी अरबपति यूरी मिलनर और फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने मिलकर एक योजना शुरू की है, जिसके मुताबिक सबसे करीबी तारे अल्फा सेंटूरी पर यान भेजे जाने हैं।

★ध्यान रहे, हमारे सौरमंडल का सबसे नजदीकी तारा अल्फा सेंटूरी हमसे 4.37 प्रकाश वर्ष दूर है। यानी इस तारे का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचने में चार साल, चार महीने और कुछ दिन लग जाते हैं।

★अब तक अंतरिक्ष में हमारी तकरीबन सारी खोज-बीन हमारे अपने सौरमंडल के ही ग्रहों-उपग्रहों के इर्दगिर्द घूमती रही है।

★इंटरस्टेलर स्पेस यानी तारों के बीच के इलाके की बात करें तो धरती से वहां भेजा गया इकलौता यान है वॉयेजर-1, जिसे नासा ने 5 सितंबर 1977 को लॉन्च किया था। 

★अगर वॉयेजर 1 को अल्फा सेंटूरी के इस मिशन के लिए चुना जाता तो अनुमान के मुताबिक उसे वहां पहुंचने में 70 हजार साल लग जाते।

=>कैसे मिलेगी कामयाबी :-

★मगर यह कठिनाई मानव मन की उड़ान को रोकने में कामयाब नहीं हो सकी। अल्फा सेंटूरी के इस मिशन के लिए जो अनोखा तरीका सोचा गया है, उसके तहत छोटे-छोटे बहुत सारे अंतरिक्ष यान उधर भेजे जाएंगे और काफी कम समय में इन्हें वहां तक पहुंचाया जाएगा। इस योजना के मुताबिक पहले एक रॉकेट के जरिए मूल यान को पृथ्वी की कक्षा तक पहुंचाया जाएगा, जिसमें हजारों की संख्या में छोटे-छोटे अंतरिक्ष यान होंगे। इन यानों का आकार आईफोन से बड़ा नहीं होगा।

★कक्षा में पहुंचने के बाद इन यानों से जुड़े मीलों लंबे-चौड़े बेहद पतले पाल खुल जाएंगे और पृथ्वी से निकलती ताकतवर लेजर किरणों के जरिए इन्हें एक-एक कर ब्रह्मांड की लंबी यात्रा पर रवाना किया जाएगा।

★प्रकाश की गति के पांचवें हिस्से के बराबर की प्रचंड रफ्तार से चलने वाले ये यान छह लाख मील की दूरी दो मिनट में तय करेंगे। फिर भी अपने गंतव्य तक पहुंचने में इन्हें 20 साल लग जाएंगे।

★ योजना कितनी सफल होगी और इनमें से कितने यान कितनी दूर तक पहुंच पाएंगे, इस बारे में फिलहाल अभी सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है। लेकिन अनंत से जुड़ी हमारी जिज्ञासाओं के लिए यह कोलंबस के नई दुनिया की खोज में निकलने जैसा ही है।

 

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