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केंद्र सरकार नहीं चाहती कि देश की सड़कों पर ड्राइवरलेस कारें दौड़ें। केंद्रीय परिवहन मंत्री ने साफ कहा कि ऑटोमोबाइल कंपनियों को भारत में बिना ड्राइवर वाली कार उतारने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसी कार आने से भारत में ट्रांसपोर्ट सेक्टर से जुड़े करीब 22 लाख लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
- एक तरफ तो सरकार भारत को विकसित देश बनाने का सपना दिखा रही है, दूसरी तरफ एक आधुनिक तकनीक का रास्ता रोक रही है।
- हमें नहीं भूलना चाहिए कि नए आविष्कारों, नई तकनीकों को साहस के साथ अपनाकर ही मानव सभ्यता ने लंबी छलांगें लगाई हैं।
- आज हम वैज्ञानिक विकास के जिस स्तर तक पहुंच चुके हैं, वहां से आगे ही बढ़ा जा सकता है, पीछे नहीं लौटा जा सकता। कोई भी नई तकनीक आती है तो वह थोड़ी उथल-पुथल मचाती है। तात्कालिक रूप से ऐसा लगता है कि उसकी वजह से नुकसान हो रहा है, मगर धीरे-धीरे समाज उसे अपना लेता है और उसके साथ सहज हो जाता है। फिर नई तकनीक कई नए रास्ते भी खोलती है। वह अपने साथ अनेक अवसर लेकर आती है। तो इस तरह जितना नुकसान होता है, उसकी भरपाई भी हो जाती है।
Need to take lesson from Computerisation
जब भारत में कंप्यूटरीकरण की शुरुआत हुई थी तो एक तबके ने इसका विरोध किया और कहा कि इसके कारण बेरोजगारी बढ़ेगी, लेकिन आज कंप्यूटर के बगैर जीवन की कल्पना असंभव है। यह रोजगार का एक बड़ा साधन बना हुआ है।
- जहां तक ड्राइवरलेस कारों की बात है तो दुनिया भर के ऑटोमोबाइल विशेषज्ञों ने बहुत सोच-समझकर इस पर काम करने का फैसला किया है।
- उनका मानना है कि इससे कई समस्याएं हल हो सकती हैं। सबसे पहले तो इससे ड्राइविंग के तनाव से मुक्ति मिलेगी।
- व्यक्ति अपनी यात्रा के समय का उपयोग पढ़ने-लिखने, जरूरी बात करने या मनोरंजन करने में कर सकता है। 90 फीसदी दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती है। ड्राइवरलेस कारें दुर्घटनाओं में कमी ला सकती हैं। वे सड़क जाम से भी मुक्ति दिलाएंगी।
Invention in this direction
सबसे पहले गूगल ने चालक रहित कारों का परीक्षण शुरू किया था, लेकिन अब टेस्ला मोटर्स, जीएम और फोर्ड जैसी कंपनियां इस दिशा में आगे आ रही हैं। हाल में ही इस दौड़ में उबर भी शामिल हो गई है। भारत की दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस ने पिछले दिनों एक ड्राइवरलेस कार बनाई। अमेरिकी विशेषज्ञों के अनुसार करीब आठ साल के भीतर ऐसी कारों की बिक्री शुरू हो जाएगी। जाहिर है, भविष्य चालक रहित कार का ही है। ऐसे में भारत हाथ पर हाथ धरे बैठा रहे, यह ठीक नहीं होगा। हम इस कारण भी इस दौड़ से बाहर नहीं रह सकते कि हमारे पास इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। हमें एक बेहतर और मजबूत सड़क ढांचा तैयार करना चाहिए। ड्राइवरलेस कारों को लेकर सरकार अपने निर्णय पर फिर से विचार करे।