क्या है नई खोज :
वैज्ञानिकों ने एक पेप्टाइड पॉलीमर तैयार किया है, जो किसी भी तरह के बैक्टीरिया को तबाह कर सकता है, यहां तक कि सुपरबग को भी। सितारे के आकार वाला यह पॉलीमर मूल रूप से एक प्रोटीन है, जिसके बारे में दावा किया गया है कि यह बैक्टीरिया को तो मारता है, लेकिन हमारे शरीर को किसी तरह से कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। यह एंटीबॉयोटिक्स से ज्यादा बेहतर है जो बक्टेरिया जो superbug का फॉर्म ले रहे है उसके सामने बेअसर हो रहे है
एंटीबॉयोटिक्स की दिक्कत
एंटीबॉयोटिक्स की दिक्कत यह है कि ये शुरुआत में बैक्टीरिया को मारती तो हैं, लेकिन जल्द ही बहुत सारे बैक्टीरिया अपने अंदर इनका प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं। इसके बाद बैक्टीरिया को मारने के लिए नई एंटीबॉयोटिक्स की खोज शुरू हो जाती है। नई एंटीबॉयोटिक्स ज्यादा प्रभावी होती हैं और बाजार में महंगी होती हैं, दवा कंपनियों के लिए ये ज्यादा मुनाफे का सौदा होती हैं। इसलिए नई एंटीबॉयोटिक्स की खोज और उनके परीक्षण, ट्रायल वगैरह का भी एक बड़ा तंत्र बन गया है। लेकिन एंटीबॉयोटिक्स से अपनी इस लड़ाई में बैक्टीरिया अब कहीं आगे पहुंच गए हैं। अब कुछ ऐसे बैक्टीरिया विकसित हो गए हैं, जिन पर नई या पुरानी किसी एंटीबॉयोटिक्स का कोई असर नहीं होता। ऐसे बैक्टीरिया को सुपरबग नाम दिया गया है, जो धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैलने लगे हैं। पिछले कुछ समय से यह एक ऐसी समस्या बन गई थी, जिसका चिकित्सा विज्ञान के पास कोई तोड़ नहीं था।