- जब पूर्णिमा का चांद कक्षा पर पृथ्वी के सबसे करीब आता है तब उसे सुपरमून कहते हैं।
- इसमें चन्द्रमा पहले से 30 % ज्यादा चमकीला दिखाई देता है
- 1948 के बाद यह पहली बार होगा जब इतना बड़ा और चमकीला चांद नजर आया है।
- इसके बाद अब 2034 तक इस तरह का नाजारा देखने को नहीं मिलेगा। दुनिया के कई देशों में यह सुपर मून देखा जा चुका है
पृथ्वी की कक्षा में घूमते हुए चांद जब धरती के सबसे नजदीक आ जाता है तब supermoon की स्थिति बनती है और उस स्थिति को पेरीजी और कक्षा में जब सबसे दूर होता है तो उस स्थिति को अपोजी कहते हैं। सामान्य रूप से चांद और पृथ्वी के बीच की दूरी हर महीने 3,57,000 किमी से 4,06,000 किमी के बीच रहती है। ऐसा उसकी अंडाकार कक्षा के कारण होता है।