SWINE FLU: रोकथाम को जरूरी बड़ी मुहिम

#Dainik_Tribune

देश के कई हिस्सों में swine flu का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। रोज नये-नये मामले सामने आ रहे हैं और यह तादाद कब थमेगी, फिलहाल कुछ कह पाना संभव नहीं है। शायद मौसम बदलने का इंतजार किया जा रहा है।

swine flu की चिंताजनक तस्वीर क्या है, यह इस सरकारी आंकड़े से ही समझा जा सकता हैं।

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार देश में इस साल जनवरी से लेकर अब तक इस बीमारी से कुल 1,094 मौतें हुई हैं और 22,186 मामले सामने आए हैं जो पिछले साल के आंकड़े से चार गुना ज्यादा है।
  • जबकि 2016 में यह संख्या क्रमश: 265 और 1,786 थी। आंकड़े पर गौर करें तो केवल अगस्त महीने में देश भर में 342 लोग मारे गए, जबकि पिछले साल इसी अवधि में छह लोग मारे गए थे।
  • राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ आदि भी इसकी चपेट में हैं। उत्तर प्रदेश में अभी तक स्वाइन फ्लू के 2545 मरीज अस्पतालों में पहुंच चुके हैं। दिल्ली में इस साल अभी तक स्वाइन फ्लू से 47 लोगों की मौत हो चुकी है।
  • ये आंकड़े सरकार और अस्पतालों की सूचनाओं पर आधारित हैं, पीड़ितों की वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है।
  • देश में 2012 और 2013 में स्वाइन फ्लू से क्रमश: 405 और 699 लोग मारे गये थे, पर 2014 में मरने वालों की संख्या 216 थी।
  •  स्वाइन फ्लू को लेकर जैसी गंभीर दशा तेलंगाना, गुजरात और राजस्थान की है, उसी राह पर मध्य प्रदेश भी है। अफसोस की बात तो यह है कि जिस बीमारी का कई बरसों से देश भुक्तभोगी होता आ रहा है, उसकी रोकथाम के ठोस प्रयास नहीं हुए।

तंत्र की काहिली के चलते इस साल अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। ठीक है कि लोगों में स्वाइन फ्लू को लेकर स्वास्थ्य जागरूकता और समझ का अभाव है, लेकिन स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक और बीमारी के प्रति सतर्क करने का दायित्व भी तो अंतत: सरकारी स्वास्थ्य मशीनरी पर ही है।

SWINE FLU SYMPTOM

  • स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य एन्फ्लूएंजा के लक्षणों की तरह ही होते हैं।
  • बुखार, तेज ठंड लगना, गला खराब हो जाना, मांसपेशियों में दर्द होना, तेज सिरदर्द होना, खांसी आना, कमजोरी महसूस करना आदि लक्षण इस बीमारी के दौरान उभरते हैं।

This year : Swine flu

  • इस साल जो स्वाइन फ्लू का संक्रमण हुआ है, वह तीन अलग-अलग तरह के वायरसों के सम्मिश्रण से उपजा है। फिलहाल इस वायरस के उद‍्गम अज्ञात हैं।
  • वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हैल्थ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह वायरस अब केवल सूअरों तक सीमित नहीं है, इसने इनसानों के बीच फैलने की कूवत हासिल कर ली है।
  •  एन्फ्लूएंजा वायरस की खासियत यह है कि यह लगातार अपना स्वरूप बदलता रहता है। इसकी वजह से यह उन एंटीबॉडीज को भी छका देता है जो पहली बार हुए एन्फ्लूएंजा के दौरान विकसित हुई थीं। यही वजह है कि एन्फ्लूएंजा के वैक्सीन का भी इस वायरस पर असर नहीं होता।

Swine flu history

स्वाइन फ्लू मूलत: विदेशी बीमारी है। गौरतलब है कि 1930 में पहली बार एच1 एन1 वायरस के सामने आने के बाद से 1998 तक इस वायरस के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। 1998 और 2002 के बीच इस वायरस के तीन विभिन्न स्वरूप सामने आए। इनके भी 5 अलग-अलग जीनोटाइप थे। हालांकि 1996-98 और 2005 में यह वायरस तेजी से फैला। उत्तरी अमेरिका में स्वाइन फ्लू के एच1 एन1 और कनाडा में 1999 में एच 4 एन 6 टाइप की पुष्टि हुई। इसके बाद से अमेरिका और स्वाइन फ्लू से प्रभावित दूसरे देशों से होकर आने वाले भारतीयों के जरिए स्वाइन फ्लू का एच1 एन1 वायरस भारत पहुंचा। धीरे-धीरे यह पूरे देश में पैर पसार चुका है।

Danger of Swine flu

बहरहाल, मानव जाति के लिए जो सबसे बड़ा जोखिम सामने है वह है स्वाइन एन्फ्लूएंजा वायरस के म्यूटेट करने का जो कि स्पेनिश फ्लू की तरह घातक भी हो सकता है। इसके जीवाणु पूर्व में सूअरों में पाये गए थे लेकिन, अब यह स्वाइन फ्लू से पीड़ित मानवों के संपर्क में आने के साथ तेजी से फैलता है।
खैर, तमाम दावों के बीच सरकार को अभी तक सफलता नहीं मिली है। भारत उन देशों में शामिल है, जो स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करते हैं। इस बदहाली के मद्देनजर स्वाइन फ्लू जैसी जानलेवा संक्रामक बीमारी की रोकथाम के लिए सरकार को तुरंत युद्धस्तर पर सक्रिय होना चाहिए

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