- दुनिया के पहले थ्री-पैरेंट बेबी (तीन अभिभावकों की संतान) के जन्म की आइवीएफ तकनीक सार्वजनिक हो गई है। वैज्ञानिकों ने इस तकनीक से एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने में सफलता हासिल की।
- वैज्ञानिकों के मुताबिक, बच्चे के जन्म में माइटोकॉन्ड्रियल रिप्लेसमेंट थेरेपी (एमआरटी) की प्रक्रिया अपनाई गई थी। इसकी मदद से माइटोकॉन्ड्रिया की गंभीर खामी के कारण होने वाले लीफ सिंड्रोम से बच्चे को बचाया जा सका।
- वैज्ञानिकों ने बताया कि माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिकाओं का पावर हाउस कहा जाता है। बच्चे की मां के माइटोकॉन्ड्रिया में कुछ खामी है। यही खामी गर्भधारण के बाद बच्चे में जानलेवा बन जाती है। इसी कारण महिला का चार बार गर्भपात हो गया था। दो बार उसने बच्चों को जन्म दिया, लेकिन वे जीवित नहीं रह सके।
क्या है नई तकनीक :
- नई तकनीक में मां के अंडाणु के एक न्यूक्लियर जीनोम को अन्य महिला के स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रिया वाले अंडाणु के जीनोम से बदल दिया गया।
- इसके बाद अंडे का निषेचन कर उसे मां के गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिया गया। इस तरह से बच्चे का जन्म दो मां और एक पिता से हुआ।
- इस तकनीक की सफलता से भविष्य में आनुवांशिक रूप से होने वाली जन्मजात बीमारियों से बच्चों को बचाना संभव हो सकता है।