UPSC पहली बार या फिर एक बार…(भाग -1)
दोस्तों मेरी आज की बात- मुलाकात उन सभी दोस्तों के साथ है जो UPSC को काबा- काशी की तरह पवित्र मानते हैं।जिनकी रगों में UPSC खून बनकर दौड़ रहा है और जिनकी पहली आशिकी भी UPSC ही है। उन सभी UPSC प्रेमियों को हर बार की तरह इस बार भी UPSC ने प्राचीन परंपरा के तहत प्रेम संदेश भिजवाया है अर्थात नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही गंभीर विद्यार्थियों ने अपने अस्त्र शस्त्रों को संभाल लिया होगा और एक सही, सटीक और व्यापक रणनीति बनाने में लग चुके होंगे। इस परीक्षा में एक तरफ नए जोश और उत्साह के साथ पहली बार बैठने वाले युवा हैं तो दूसरी और अपने ज्ञान और अनुभव से इन युवाओं को चुनौती देने वाले मंझे हुए खिलाडी भी हैं इसीलिए मेरा पहला सम्बोधन था UPSC पहली बार या फिर एक बार।
सिविल सेवाओं की तयारी से जुड़े हुए मेरे मित्रगण अक्सर मुझसे तैयारी की रणनीति और सफलता के सूत्र के बारे में पूछते रहते हैं। इन मित्रों में उपर्युक्त दोनों श्रेणी के मित्र शामिल हैं। इस सन्दर्भ में मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से प्राप्त कुछ बिंदू अपने मित्रों के साथ साझा करना चाहूँगा जिनसे सिविल सेवाओं की तैयारी में आप लोगों को शायद कुछ मदद मिल सके।
UPSC पहली बार-
इस श्रेणी के मित्रों को सबसे पहले तो मैं बधाई देना चाहूँगा कि उन्होंने विभिन्न आकर्षक जीविकोपार्जन के साधनों को छोड़कर एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण लेकिन महत्वपूर्ण एवं सम्मानजनक CARRIER को चुना है। यहाँ मैं अपनी बात संक्षेप में बिंदुवार रखता हूँ-
* सबसे पहले syllabus का गहनतापूर्वक अवलोकन, चिंतन, मनन एवं विश्लेषण क्योंकि सभी सवालों की कुंजी कहीं न कहीं आपको syllabus में ही मिलेगी इसलिए इसे हमेशा अपनी रणनीति का एक अहम हिस्सा बनाए नहीं तो आपकी मेहनत अपनी दिशा से भटक सकती है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं इस परीक्षा के तीन चरण हैं। ये तीन चरण अपने आप में महत्वपूर्ण होने के साथ साथ अपनी अनूठी विशेषताएं लिए हुए हैं। इन्हें अनूठा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तीनों चरणों का पाठ्यक्रम एक जैसा लगने के बावजूद प्रत्येक चरण में परीक्षार्थियों से कुछ विशेष की मांग की जाती है। इसलिए अपनी तैयारी की दिशा उन विशिष्ठ मांगों के अनुरूप रहे इसके लिए सदैव सावधान रहने की आवश्यकता है।
अब बात करते हैं उन विशेष बातों की जिनका ध्यान रखना प्रत्येक चरण में आवश्यक है।
सबसे पहले बात करते हैं प्रीलिम्स अर्थात प्रारम्भिक परीक्षा की – ये परीक्षा का सबसे पहला एवं अत्यन्त महत्वपूर्ण चरण है क्योंकि इसी से निर्धारित होता है कि हम अगले चरण में शामिल होंगे या नहीं। इस चरण की परीक्षार्थियों से यह मांग रहती है कि उन्हें पाठ्यक्रम के विविध पक्षों एवं आयामों की विस्तृत जानकारी रहे। इसके लिए आवश्यक है कि ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की आदत डालें क्योंकि इस चरण में यह सम्भावना रहती है कि प्रश्न कहीं से भी पूछा जा सकता है। लेकिन चूँकि इसमें हमारे पास विकल्प होते हैं जिनकी सहायता से हम अपने उत्तर तक पहुंच सकते हैं तो यह कतई जरुरी नहीं है कि हमें सभी चीजें एकदम रटी हुई होनी चाहिए, बस हमारा फोकस क्लियर होना चाहिए जिससे हम उन सवालों के सही जवाबों तक पहुंच जाएँ।
इस चरण में कुछ सवाल पारम्परिक विषयों से पूछे जाते हैं जैसे इतिहास, भूगोल , भारतीय राज व्यवस्था एवं संविधान , अर्थव्यवस्था इत्यादि एवं कुछ सवाल उन विषयों से पूछे जाते हैं जो पिछले कुछ वर्षों से अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं जैसे पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी, कला एवं संस्कृति एवं विज्ञान एवं तकनिकी। तैयारी के दौरान इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि इन दोनों प्रकार के विषयों को अच्छी तरह तैयार किया जाए क्योंकि पारम्परिक विषयों से कभी भी अधिक सवाल पूछे जा सकते हैं और इनकी तैयारी भी कुछ मानक पुस्तकों से आसानी से हो जाती है इसलिए ये सोचकर कि पारम्परिक विषयों की जगह जो ट्रेंड चल रहा है उन विषयों पर अधिक ध्यान दिया जाये तो यह आपके लिए घातक भी हो सकता है। इन पारम्परिक विषयों का लाभ आपको मुख्य परीक्षा में भी प्राप्त होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य विषयों की अनदेखी की जाए , वो भी उतने ही जरुरी है जितने दूसरे पारम्परिक विषय।
इसके अलावा अति महत्वपूर्ण समसामयिक घटनाओं पर तीखी नज़र रखना जरुरी है। मैं यहाँ फिर दोहराऊंगा कि केवल अति महत्वपूर्ण घटनाओं पर पैनी नज़र राखी जाये , जैसे जिन घटनाओं से देश के व्यापक हित प्रभावित होते हो अथवा जिनका समूची मानव जाती से कोई सरोकार जुड़ा हो या फिर कोई व्यक्ति विशेष या राष्ट्र द्वारा अर्जित की गयी कोई अप्रतिम उपलब्धि हो तो उस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अर्थव्यवस्था के समसामयिक पहलुओं पर कड़ी नज़र रखना अपेक्षित है साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालयों के निर्णयों पर भी गम्भीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रारंभिक परीक्षा का दूसरा पेपर CSAT का है जो अब qualifying मात्र रह गया है। इसलिए अब इस चरण को पार करने का पूरा दारोमदार सामान्य अध्ययन के पेपर पर रह गया है लेकिन जो विद्यार्थी इस पेपर में अच्छे नहीं है उनके लिए आवश्यक है कि वो इस पेपर को इतना समय अवश्य दे जिससे वो CSAT की वजह से इसी चरण में ना रुके।
अब बात करते हैं मुख्य परीक्षा की – इस चरण को मुख्य परीक्षा इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यह चरण सबसे मुख्य अथवा महत्वपूर्ण चरण है। जहाँ प्रारंभिक परीक्षा में हमारे पास सही जवाब देने के लिए चार विकल्प होते हैं वहीं मुख्य परीक्षा में हमें सीधे सवालों का जवाब लिखकर देना होता है और वहां किसी प्रकार का कोई विकल्प नहीं होता। इस चरण की लगभग पूरी तैयारी प्रारम्भिक परीक्षा से पहले हो जानी चाहिए क्योंकि यदि प्रारम्भिक परीक्षा के बाद इसकी तैयारी करने का सोचेंगे तो उस वर्ष आपका नाम अंतिम चयनित लोगों की सूची में आना अत्यन्त कठिन होगा इसलिए इसकी तैयारी पाठ्यक्रम के अनुसार बहुत पहले से शुरू कर देनी चाहिए और मुझे उम्मीद है कि इस वर्ष परीक्षा में बैठने वाले साथियों ने ऐसा ही किया भी होगा।
इस चरण में परीक्षार्थी से अपेक्षा की जाती है कि विभिन्न सामान्य अध्ययन के विषयों के बारे में आपकी समझ कैसी है। यहाँ बहुत अधिक पढ़ने की जगह जो चीज पढ़नी है उसकी समझ का विकसित होना जरुरी है क्योंकि यहाँ परीक्षक एवं आपके बीच की कड़ी आपकी उत्तर पुस्तिका है जहाँ पर आपको पूरी सहजता , सरलता और समझ के साथ उत्तर लिखने हैं। यदि आप इसमें सफल रहते हैं तो परीक्षक आपको अंक देने के लिए विवश हो जायेगा।
इसके अलावा विभिन्न समाचार पत्रों जैसे हिन्दू, दैनिक जागरण का राष्ट्रीय संस्करण , इंडियन एक्सप्रेस इत्यादि का निरन्तर पठन, चिंतन एवं मनन, विभिन्न सरकारी websites जैसे पत्र सूचना कार्यालय (PIB) का निरन्तर अवलोकन एवं आल इंडिया रेडियो (#AIR), लोक सभा एवं राज्य सभा TV के डिबेट कार्यक्रमों का निरन्तर श्रवण करना मुख्य परीक्षा की सफलता के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
इस चरण में सामान्य अध्ययन के चार प्रश्न पत्र हैं जिनमे से तीन प्रश्न पत्र कहीं न कहीं पारम्परिक विषयों से जुड़े हुए हैं वहीं चौथा प्रश्न पत्र अपने आप में अनूठा है। इस प्रश्न पत्र में ५० प्रतिशत प्रश्न सैद्धांतिक भाग से पूछे जाते हैं जिनके जवाब बाजार में उपलब्ध विभिन्न पुस्तकों अथवा नोट्स से मिलने की सम्भावना रहती है। बाकी के ५० प्रतिशत सवाल सीधे आपकी अभिवृत्ति एवं निर्णयन क्षमता का परीक्षण है। इसकी तैयारी के लिए आवश्यक है इस प्रकार के सवालों को परीक्षा से पहले अधिक से अधिक हल किया जाना चाहिए इसके लिए या तो किसी टेस्ट सीरीज की सहायता ली जा सकती है अथवा अपनी मित्र मंडली के साथ भी इस पर काम किया जा सकता है। ये मुख्य परीक्षा का वो प्रश्न पत्र है जिसमे १२० तक अंक आसानी से लाए जा सकते हैं इसलिए इसकी तैयारी की विशेष रणनिती बनना आवश्यक है।
मुख्य परीक्षा का एक सबसे महत्वपूर्ण पेपर #निबंध है जो आजकल अंतिम चयन एवं अच्छी रैंक के लिए सबसे महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। २५० अंकों के इस पेपर में आजकल दो विषयों पर निबंध लिखना अपेक्षित है। इसकी तैयारी के लिए आवश्यक है पिछली परीक्षाओं में पूछे हुए निबन्धों की एवं अन्य महत्वपूर्ण विषयों से सम्बंधित विषयों से सम्बंधित निबन्धों की अच्छे से प्रैक्टिस करना क्योंकि निबंध की प्रैक्टिस से दो फायदे होते हैं , एक तो यह कि हमारे पास विभिन्न विषयों के निबन्धों पर लिखने की भूमिका तैयार रहेगी तथा निबंध के अधिकाधिक आयामों को समेटने में अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी तथा दूसरी यह कि हो सकता है जिस विषय में हमने तैयारी की है वही निबंध मिलने का भी चांस हो सकता है। दोनों ही सूरतों में यह आपके लिए लाभ की स्थिति है। निबंध में आप अपने विचारों को ऊँची उड़ान दे सकते हैं लेकिन यह उड़ान सदैव मानवीय, राष्ट्र हित से जुडी हुई तथा आशावान होनी चाहिए। निबंध में जितने अधिक आयामों का समावेश किया जायेगा निबंध उतना ही अधिक प्रभावी एवं अंकदायी होगा।
आज के लिए केवल इतना ही , बाकी की बातें करने के लिए में इस लेख के दूसरे भाग को लेकर जल्द ही लौटूंगा तब तक के लिए सभी परीक्षार्थियों को मेरी तरफ से बहुत बहुत शुभकामनाएं। साथ ही मैं आपको बताते हुए अत्यन्त हर्ष का अनुभव कर रहा हूँ कि हिंदी माध्यम के छात्रों के सामान्य अध्ययन की तैयारी के लिए एक बहुत ही उपयोगी और सामयिक वेबसाइट का निर्माण मेरे कुछ मित्रों ने किया है जिससे जुड़ने का सौभाग्य मुझे भी प्राप्त हुआ है। इस वेबसाइट का नाम है www.gshindi.com कृपया एक बार इसका अवलोकन अवश्य करें शायद हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए ये अब तक की सर्वोत्तम वेबसाइट है। मेरे शब्दों की जांच आप वेबसाइट देखकर स्वयं कर सकते हैं।
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