Recent step of America to increase duty on steel
इन दिनों अमेरिका एवं कई विकसित देश वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाकर नियंतण्र व्यापार युद्ध का नया चिंताजनक परिदृश्य निर्मित करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इससे भारत सहित विभिन्न विकासशील देशों की व्यापार चिंताएं बढ़ गई है। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डनाल्ड ट्रंप ने निर्देश जारी किए हैं कि अमेरिका में आयातित स्टील पर 25 फीसद और आयातित एल्युमीनियम पर 10 फीसद शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप ने आयात शुल्क में इजाफे पर जो जोर दिया है, वह दरअसल अमेरिका के साथ कारोबारी शर्त की कड़ाई का पहला चरण है।
Reason behind this
• Trump लंबे समय से यह कहते आ रहे हैं कि अमेरिका के कारोबारी साझेदार विभिन्न देश अमेरिका को कारोबार में भारी घाटा दे रहे हैं। वस्तुत: ट्रंप अमेरिका के औद्योगिक क्षेत्र को संरक्षण देकर उसमें नई जान फूंकना चाहते हैं।
• उनकी धारणा है कि वैश्वीकरण दुनिया के कई इलाकों में नाकाम साबित हो चुका है और यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए भी नुकसानदेह है।
• अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने यहां तक कह दिया है कि अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद से ही यूरोप और एशियाई देशों को भारी रियायतें दी हैं, अब इनके जारी रहने का कोई तुक नहीं है। गौरतलब है कि अमेरिका सहित कई विकसित देशों के लोग भी संरक्षण के हिमायती दिखाई दे रहे हैं।
• ‘‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने हाल ही में एनईआरए इकोनॉमिक कंसल्टिंग के अध्ययन की एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसके मुताबिक इस्पात एवं एल्युमीनियम के आयात शुल्क में इजाफा किए जाने से इस क्षेत्र में घरेलू रोजगार और उत्पादन में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है।
• अमेरिका का कहना है कि विश्व व्यापार की समस्या का संबंध चीन से सबसे ज्यादा है। चीन अपने उन वादों पर खरा नहीं उतरा है, जो उसने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के दायरे में आते समय किए थे।
• चीन ने कहा था कि वह अपने घरेलू बाजार को उदार बनाएगा और नियामकीय और मेहनताने के मानकों में सुधार करेगा। लेकिन वर्तमान परिदृश्य बता रहा है कि कोष विश्व के साथ चीन का व्यापार अधिशेष आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण है। अमेरिका ने न केवल चीन के साथ वरन जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी और भारत जैसे देशों के साथ भी व्यापार युद्ध की शुरुआत कर दी है।
• India & America: भारत से वह इसलिए चिढ़े हुए हैं क्योंकि भारत ने मोटरसाइकिल पर आयातित शुल्क में उनकी इच्छा के मुताबिक कमी नहीं की है।
Need to reform WTO
ऐसे में दुनिया के अर्थविशेषज्ञों का कहना है कि यदि विश्व व्यापार व्यवस्था वैसे काम नहीं करती जैसे कि उसे करना चाहिए तो डब्ल्यूटीओ ही एक ऐसा संगठन है, जहां इसे दुरुस्त किया जा सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो दुनियाभर में विनाशकारी व्यापार लड़ाइयां ही 21वीं शताब्दी की हकीकत बन जाएंगी। निश्चित रूप से अमेरिका के संरक्षणवादी कदमों से भारत के वस्तु एवं सेवा क्षेत्र से संबंधित कंपनियों की परेशानी बढ़ गई है।
How India will be affected?
सबसे पहले भारत के द्वारा अमेरिका को किए जा रहे इस्पात और एल्युमीनियम निर्यात पर असर दिखाई देगा। भारत ने 2016-17 में अमेरिका को 2346 करोड़ रुपये का एल्युमीनियम और उसके उत्पाद निर्यात किए। अमेरिका को किए जाने वाले कुल एल्युमीनियम निर्यात में भारत की हिस्सेदारी दो फीसद है। वर्ष 2016-17 में भारत ने अमेरिका को 10600 करोड़ रुपये का स्टील निर्यात किया।
2.4 फीसद हिस्सा America को Steel Export में भारत का है। भारत से अमेरिका को किए जाने वाले इस्पात और एल्युमीनियम निर्यात में पिछले वर्ष 2017 में करीब 50 फीसद की वृद्धि हुई है।
अमेरिकी कारोबारी और राजनयिक भारत पर सीमा-शुल्क एवं दूसरे कर घटाने के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं। भारत ने दिसम्बर 2017 में मोबाइल और टेलीविजन सहित विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर Import शुल्क बढ़ा दिया था। नये बजट 2018-19 में 40 अन्य उत्पादों पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की गई। इससे अमेरिकी कारोबारी चिंतित हैं और अमेरिका की सरकार ने व्यापार बढ़ाने के लिए भारत को आयात शुल्क में कमी करने को कहा है।
भारत से विभिन्न वस्तुओं के आयात संबंधी मुश्किलों से भी ज्यादा चिंता सेवा क्षेत्र के तहत अमेरिका द्वारा भारत के आईटी उद्योग के लिए दीवारें खड़ी करने से संबंधित है। नि:संदेह पिछले एक दशक से भारत का आईटी उद्योग जिस तेजी से छलांगें लगाकर आगे बढ़ रहा था, उस आईटी उद्योग के लिए अमेरिका व अन्य विकसित देशों के लिए बनाए गए वीजा संबंधी नये नियमों से आगे बढ़ने की तेज गति धीमी हो जाएगी।
भारत को सेवा क्षेत्र से प्राप्त होने वाली विदेशी मुद्रा की कमाई में आईटी सेक्टर चमकते हुए पहले क्रम पर है। गौरतलब है कि अमेरिका में वित्त वर्ष 2019 के लिए एच-1बी वीजा आवेदन करने का सीजन 2 अप्रैल से शुरू होने का अनुमान है। इस सीजन से ही एच-1बी वीजा संबंधी नियम और सख्त कर दिए गए हैं। न केवल अमेरिका में वरन दुनिया के कई विकसित देशों से कुशल भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए वीजा संबधी मुश्किलें बढ़ी है।
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इस तरह अमेरिका सहित विकसित देशों में घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाने और स्थानीय लोगों के लिए नौकरियों को बढ़ावा देने की अंतमरुखी नीति का परिदृश्य भारत सहित विकासशील देशों के लिए नये वीजा नियमों कुशल पेशेवरों के नियंतण्रसंबंधी प्रतिबंध डब्ल्यूटीओ के उद्देश्य के प्रतिकूल हैं। गौरतलब है कि डब्ल्यूटीओ दुनिया को नियंतण्र गांव बनाने का सपना लिये हुए एक ऐसा नियंतण्र संगठन है, जो व्यापार एवं वाणिज्य को सहज एवं सुगम बनाने का उद्देश्य रखता है। किन्तु डब्ल्यूटीओ के 22 वर्षो बाद विकासशील देशों के करोड़ों लोग यह अनुभव कर रहे हैं कि डब्ल्यूटीओ के तहत विकासशील देशों का शोषण हो रहा है। ऐसे में नियंतण्र व्यापार युद्ध की नई चिंताओं के मद्देनजर जरूरी है कि भारत एवं अन्य विकासशील देशों द्वारा डब्ल्यूटीओ के तहत अमेरिका सहित विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों के उत्पादों और पेशेवर प्रतिभाओं पर लगाई जा रही वीजा रोक प्रवाह का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाना होगा। यह बात आगे बढ़ाई जानी होगी कि डब्ल्यूटीओ के तहत सदस्य देशों के बीच पूंजी प्रवाह नियंतण्रमुक्त है, तो अमेरिका सहित विकसित देशों में वस्तुओं एवं सेवाओं का व्यापार और श्रम और प्रतिभा प्रवाह भी नियंतण्रमुक्त रहने चाहिए।
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