जलवायु परिवर्तन और दक्षिण की बारिश

Increased GHG emission has raised the temperature of Arabian sagar and recent rainfall in south is consequence of this.

#Nabharat_times

  • आईआईटीएम पुणे, आईआईटी बॉम्बे और यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड (अमेरिका) से जुड़े रिसर्चरों की एक टीम द्वारा किए गए इस साझा अध्ययन में पाया गया कि अरब सागर का उत्तरी हिस्सा दुनिया के अन्य किसी भी समुद्र की तुलना में ज्यादा तेजी से गर्म होने की वजह से भारत में बारिश का यह व्यतिक्रम दिख रहा है।
  • 1950 से 2015 तक की अवधि के उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से रिसर्चरों को पता चला कि यह प्रवृत्ति अचानक विकसित नहीं हुई है।
  • अत्यधिक, यानी एक दिन में 150 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश की घटनाओं में प्रति दशक 13 की दर से इजाफा हो रहा है।
  • खास बात यह कि केवल इन घटनाओं की संख्या बढ़ी है, बल्कि इनमें बारिश की तीव्रता भी समय के साथ बढ़ती दिखी है। इसका एक और अहम पहलू यह है कि तटीय इलाकों में जबर्दस्त बारिश की घटनाएं बढ़ने का मतलब तट से दूर पड़ने वाले इलाकों में बारिश की कमी, यानी सूखे का जोर भी है। यह सब हाल के दिनों में एक परिघटना के रूप में दर्ज किया जाता रहा है।

इस स्टडी ने इसे एक प्रवृत्ति के रूप में रेखांकित किया और बताया कि अरब सागर के गर्म होने के पीछे प्रकृति की लीला नहीं बल्कि बढ़ी हुई मानवीय गतिविधियां यानी कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों का ज्यादा उत्सर्जन है। एक सकारात्मक पक्ष इस स्टडी का यह है कि इसके निष्कर्षों की रोशनी में अत्यधिक बारिश जैसी घटनाओं की भविष्यवाणी करना आसान हो जाएगा, जिससे जन-धन की क्षति घटाने में मदद मिलेगी। रहा सवालमानवीय गतिविधियोंको नियंत्रित करने का, तो देखना होगा कि उस पर कारगर पहल कब हो पाती है।

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